________________
९६ ] संबित व विहास । उस समय दक्षिण भारतके केरक देशमें एक विद्याधर राजा
राज्य करता था। उस भोर विद्याधर केरल बिजय। वंशके राजाओंने प्राचीनकालसे अपना
माधिपत्य जमा वखा था। बस, केरलके उस विद्याधर राजाका नाम मृगांक था। सम्राट् श्रेणिकसे उसकी मित्रता थी। मृगांकपर हंसद्वीप (लंका) के राना रलचूलने भाकमण किया था। मृगांककी सहायताके लिये श्रेणिकने जम्बूकुमारके सेनापतित्वमें अपनी सेना मेजी थी। __जम्बूकुमारने वीरतापूर्वक शत्रुका संहार किया था। इस युद्ध में उनके हाथसे माठ हजार योद्धाओंका संहार हुआ था। उपरांत मृगांकने अपनी कन्या विलासवतीका विवाह श्रेणिकके साथ किया था। जब श्रेणिक केरल गये हुये थे तब उन्होंने विन्ध्याचक मौर रेवा नदीको पार करके कुरल नामक पर्वतपर विश्राम किया था और वहांपर स्थापित जिन विम्बोंकी पूजा-अर्चना की थी।'
दक्षिण भारतके इतिहाससे यह सिद्ध है कि प्राचीन काल में हंसदीप (लंका) और तामिक-पाण्ड्यादि दक्षिण देशवासियोंके मध्य परस्पर माक्रमण होते रहते थे। उधर यह भी प्रगट है कि नन्द
१-'बम्यूकुमार चरित् । में विशेष परिचय देखो
'ततस्ता च समुत्तीर्थ प्रतस्थे केरलां प्रति । विशश्राम कियत्काळ नाना कुरळभूबरे ॥१४३॥७॥ पूजयामास भूमीशस्तत्र शिब बिनेशिनः। मुनीनपि महामत्तया ततः प्रस्थातमुखतः ॥१४॥
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com