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१..] संक्षिप्त जैन इतिहास । जामोंने कुन्तलदेश पर शासन किया था और कदम्ब वंशके राजा उन्हें अपना पूर्वज मानते थे। कुन्तलदेश भाजकलके पश्चिमीय दक्खिन (Decoan) और उत्तरीय मैसूर जितना था । दक्षिणभार. तके होसकोटे जिलेमें नन्दगुडि नामक ग्राम उत्तुङ्गभुज नामक रानाकी राजधानी बताई जाती है और कहा जाता है कि नंदराजा उसके भतीजे थे । उसने उनको कैद कर लिया था; परन्तु उन्होंने मुक्त होकर अपना स्वतंत्र राज्य स्थापित किया था। परन्तु कहा नहीं जा सकता कि इस जनश्रुतिमें कितना तथ्य है, तो भी यह स्पष्ट है कि नंद साम्राज्यका विस्तार दक्षिण भारत तक था। कुंतलदेश नन्दराजाओंके शासनाधीन था ! नन्दराजाओं के पश्चात् भारतके प्रधान शासक मौर्यवंश के
शासक हुये । चन्द्रगुप्त मौर्यने मन्तिम मौर्य-सम्राट्। नंदराजा और उसके सहायकों को परास्त
करके मगध साम्राज्य पर अपना अधि. कार जमाया था। उधर पश्चिमोत्तर सीमा प्रांतसे यूनानियोंको खदे
कर चन्द्रगुप्तने उत्तर भारतमें अफगानिस्तान तक अपना राज्य स्थापित किया था। और यह प्रगट ही है कि दक्षिण भारत के एक भागको नन्द राजाओंने ही मगध साम्राज्यमें मिला लिया था। इसलिये चन्द्रगुप्तका अधिकार स्वतः उस प्रदेशपर होगया था। • एक शिलालेखमें स्पष्ट कहा गया है कि शिकारपुर तालुकके नाग
१-इका० ७, शिकारपुर २२९ व २३६, मैकु० पृष्ठ ३ व जमीसो० भा० २२ पृष्ठ १०४।२-जमीसो० भा० २२ पृष्ठ ५०५ ।
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