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६८] संक्षिप्त जैन इतिहास ।
(६) ब्रिटिश राज्य-( उपरांत)
प्रस्तुत 'प्राचीन खण्ड' में हम दोनों भागोंके पहले कालों तकका इतिहास लिखनेका प्रयत्न निम्न पृष्ठोंमें करेंगे। अवशेष कालोंका वर्णन आगेके खण्डोंमें प्रस्तुत करनेका प्रयत्न किया जायगा। आशा है, जैन साहित्य संसारके लिये हमारा यह उद्योग उपयोगी सिद्ध होगा।
आरंभिक-इतिहास। भगवान अरिष्टनेमि, कृष्ण और पाण्डव । उत्तर भारतके क्षत्रिय वंशोंमें हरिवंश मुख्य था । इस वंशके
राजाओंका राज्य मथुराम था, यद्यपि यादव वंश। इनके आदि पुरुष मगधकी ओर राज्य
करते थे । हरिक्षेत्रका आर्य नामक एक विद्य पर अपनी विद्याधरी के साथ आकाशमार्ग द्वारा चम्पानगरमें पहुंचा था। उस समय चम्पानगर अपने राजाको खोनेके कारण अनाथ हो रहा था । विद्याधर आर्य चम्पाका राजा बन बैठा।' उसका पुत्र हरि हुमा, जो बड़ा पराक्रमी था। उसने अपने राज्यका खुब विस्तार किया। उसीके नामकी अपेक्षा उसका वंश · हरि' नामसे प्रसिद्ध हुमा । यद्यपि यह राजालोग विदेशी विद्याधर थे; परन्तु फिर भी उनको शास्त्रकारोंने क्षत्रिय संभवतः इसलिये लिखा है कि विद्याघरोंके आदि राजा नमि-विनमि भारतसे गये हुये क्षत्रिय पुत्र थे।
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