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संक्षिप्त जैन इतिहास |
लिखा है, जिसे विद्वज्जन आधुनिक मध्यप्रांत ही प्रगट करते हैं । " अब जब रामगिरि रामटेक है तो भूताचल भी वहीं कहीं होना चाहिये ।
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हमारे मित्र श्री गोविन्द पै नागपुर डिवीजनके वेतूल जिलेको भूताचल अनुमान करते हैं। उसके आसपास पर्वत हैं और वह मश्मक देश से भी दूर नहीं है, जैसे कि प्राचीन भारतके नकोसे स्पष्ट है । हिन्दू ' मत्स्यपुराण' से एक ' तापस' नामक प्रदेशका दक्षिणापथके उत्तर भागमें होना प्रगट है, जो यूनानी लेखक टोमीका मध्यदेशवर्ती 'तबसे' (Tabassoi) प्रतीत होता है। अतः यह संभव है कि कमठ व तापस देशमें स्थित भूताचल या रामगिरि पर्वतपर कुतप तपने गया था। जो हो, यह स्पष्ट है कि पोदनपुर के निकट अवस्थित उपरोक्त पर्वत दक्षिणापथके उत्तरी भागमें विद्यमान थे ।
भन मलय पर्वत और कुब्जकसल्लकी बनको लौजिये । कर्निघम सा०ने मलयपर्वतको द्राविड़ देशमें स्थित बताया है। * चीनदेशके यात्री व्हानुत्सांगने उसे कांचीसे दक्षिणकी ओर ३०००
१- वेशीश त्रिकलिङ्ग देश.... रम्ये रामगिराविंद.... । ' - जेसिभा० ३ पृ० ५३ ।
२ - प्रो० 10 मुकरजीकी 'Fundamental Unity of India' नामक पुस्तक में लगा हुआ प्राचीन भारतका नकशा देखो ।
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३ - मत्स्यपुराण (Panini office ed., S. B. H. Vol. XVII) ch. CXIV.
४ - ज० पृ० ६२७ ।
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