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श्री राम लक्ष्मण और रावण । [ ४५
पहुंचकर सीताजी से मिले और रावण एवं उसके परिजनों को समझाया; परन्तु रावणने एक न मानी। हनुमानजी लौटकर रामके पास आये और सब समाचार कह सुनाये। इसपर राम और लक्ष्मणने रावणपर आक्रमण किया और भयानक युद्धके उपरान्त लक्ष्मणके हाथ से रावणका बघ हुआ । सीता रामको मिलीं | लंकाका राज्य विभीषणको दिया गया ।
राम, लक्ष्मण और सीता वनवासका काल व्यतीत करके अयोध्या लौट आये। राम राजा हुये और सानंद
राम और लव-कुश । राज्य करने लगे । भरत मुनि होगये । रामने सीताको घरमें वापस रख लिया, इस बात को लेकर प्रजाजन उच्छृंखल होने लगे । इस पर रामने सीताको वनवासका दंड दिया । सीता गर्भवती थी, बनमें असहाय खड़ी थी कि पुण्डरीकपुरके वज्रजंघ राजाने उसकी सहायता की । वह सीताको अपने नगर लिवा लेगया और धर्मभगिनीकी तरह उसे रक्खा | वहां सीताके लव और कुश नामक दो प्रतापी पुत्र हुये । युवावस्था प्राप्त करके यह दिग्विजय करनेके लिये निकले ।
पोदनपुर के राजाके साथ इनकी मित्रता होगई और ये उसके साथ अनेक देश देशांतरोंको विजय करने में सफल हुए । आंध्र, केरल, कलिंग आदि दक्षिण भारत के देशों को भी इन्होंने जीता था, परन्तु अयोध्या तक वह नहीं पहुंचे थे । नारदने राम-लक्ष्मणका वृतांत दोनों माइयोंसे कहा, जिसे सुनकर वे क्रोधित हो उनपर सेना लेकर चढ़ गये । पिता-पुत्रका युद्ध हुआ, किन्तु क्षुल्लक सिद्धार्थने उनसे
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