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राजा रेव और उसके बँधन। [५१ उनसे विदा होकर वह मांध्र देश पहुंचे। ऐसे ही धूमते हुने माखिर राजा जयन्धरने उन्हें बुल्ग भेजा और उनका राज्याभिषेक कर दिया।
नागकुमार राजाधिराज हुये और नीतिपूर्वक उन्होंने कारविशेष तक राज्यशासन किया । वृद्धावस्थाके निकट पहुंचने पर उन्होंने राज्यभार अपने पुत्र देवकुमारको नौंषा और स्वयं दिगम्बर मुनि हो तप तपने लगे । न्याल, महाव्याल, अचेय और मछेव नामक राजकुमारोंने भी उनके साथ मुनित्रत धारण किया था। तपश्चरण द्वारा कर्मोका नाश करके वे पांचों ऋषिवर भष्टापद नामक पर्वतसे मोक्षधाम सिधारे थे।
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