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बौराणिक काल ।
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खान गोलकुन्डा मिल जाती है । इसलिये अश्मकदेश आजकलका बरार और निजाम राज्यका कुछ अंश जितना था । उधर सुरम्यदेश भी मध्यप्रान्त, बरार और निजाम राज्यको अंशको अपने में लिये हुये था, यह पहले ही लिखा जाचुका है। अतः दोनों देशोंको एक अथवा एक देशके दो भाग मानना युक्तिसंगत है। इस अवस्थामें पोदनपुर भारतकी पश्चिमोत्तर सीमापर नहीं माना जासकता ।
कवि धनपालने 'भविष्यदत्त कथा' में हस्तिनापुर के राजा और पोदनपुर के शासक में युद्ध होनेका उल्लेख किया है । इन दोनों राज्योंके बीच में कच्छ देशकी स्थिति वैसी ही थी जैसी कि गत यूरोपीय महायुद्ध में बेलजियमकी थी । यह कच्छ देश सिंधुदेशके समीप स्थित कच्छ नहीं हो सकता; क्योंकि वह दोनों राज्यों के बीच में नहीं पड़ता । हां, यदि यह कच्छ देश ग्वालियर राज्यके नरवरजिलेमें रहे हुये कच्छवाहे क्षत्रियों का प्रदेश माना जाय, जिसका मानना ठीक प्रतीत होता है, तो उसकी स्थिति दोनों राज्योंके ठीक बीचमें आजाती है ।
कवि धनपालने पोदनपुर नरेशको साकेत नरेन्द्र भी लिखा है, जिसका भाव यही है कि वह साकेत (अयोध्या) के राजवंश से सम्बन्धित थे । पोदनपुर राजकुलके आदिपुरुष बाहुबलि साकेत - राजाके सुपुत्र और युवराज थे। कवि धनपालने पोदनपुरको सिंधुदेशमें लिखा है सो ठीक है, क्योंकि यवन्तीके आसपासका प्रदेश सिन्धुनदीकी अपेक्षा सिन्धुदेश भी कहलाता था । अतः बाहुबलि
1-G. O. S., Vol. XX. Intro:
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