________________
पोदनपुरके अन्य राजा।
पोदनपुरके अन्य राजा। तीर्थकर विमलनाथके समयमें गणधर मेरुमंदर और मुमि संजयंत हुये थे। उनके पूर्वभवके वर्णनमें पोदनपुरके राजा पूर्णचन्द्रका उल्लेख है। राजा पूर्णचन्द्रको साकेतके राजा मादित्यबलकी पुत्री हिरण्यवती ब्याही गई थी। उनका पुत्र सिंहचंद्र था।' पूर्णचंद्रकी पुत्री रामदत्ताका व्याह सिंहपुरके राजा सिंहसेनके साथ हुआ था।'
तीर्थकर अनंतनाथके सुप्रम नामक बलभद्र और पुरुषोत्तमनारायण हुये थे। उनके पूर्वभवान्तरोंमें पोइनपुरके राजा वसुसेनका उल्लेख है। वसुसेनकी महारानी नंदा परमपवित्र और अनुपम सुंदरी थीं। वसुसेनका मित्र मलयदेशका राजा चंडशासन था। एकदा वह उससे मिलने आया। रानी नंदाके रूपलावण्यपर वह मासक्त होगया
और किसी उपायसे उसे हरकर वह अपने नगर लेगया। राजा वसुसेन विरक्त हो मुनि होगया।'
राजर्षि बाहुबलीकी ही वंशपरंपरामें उपरांत श्रेष्ट राजा तृणर्पिगल हुआ। उसकी पट्टरानीका नाम सर्वयशादेवी था। उनके मधुपिंगल नामक सुन्दर पुत्र था। अयोध्याके सगरने चालाकीसे उसे दूषित शरीर ठहरवाकर एक स्वयंवरसे निकलवा दिया था; जिस क्रोधको लेकर वह मरा और महाकाल नामका व्यंतर हुमा । इस महाकालने अपना वैर चुकानेके लिये यज्ञमें पशुओंको होमनेकी प्रथाका श्रीगणेश किया था।
१-उपु० १९:२०८-९। २ हरि० २७५५ । ३-उपु० ६०१५०-१७। ४-उपु० ६७२२३-२५ ।
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com