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"सम्मेद शिखर- विवाद क्यों और कैसा?"
सफल व प्रगति करते रहे। आपका यह कार्यकाल गौरवमय व अच्छाइयों से भरा पूरा और निष्कलंक रहा जिसकी हम मुक्त कण्ठ से प्रशंसा करते हैं।
आपके कार्य क्षेत्र की सीमा केवल "नवज्योति " तक ही सीमित नहीं रही है किन्तु लोकोपकारी अनेक सार्वजनिक संस्थाओं में भी आपका सहयोग प्रेरणास्पद व महत्वपूर्ण रहा है ।
अन्याय का साहस पूर्वक, दृढ़ता एवं निर्भीकता के साथ प्रतिरोध करना आपका अन्यतम सुन्दर स्वभाव है । ऐसे अवसरों पर आप इस्पात की तरह दृढ़ रहते हैं जो टूट भले ही जाए पर मुड़ता नहीं ।"
इसी तरह साधू मार्गी समाज के आचार्य एवं कई धार्मिक पुस्तकों के विद्वान लेखक श्री अभयमुनिजी महाराज ने श्री भण्डारीजी के बारे में "बिजोलिया किसान - सत्याग्रह " पुस्तक में लिखा है
"मैं चाहूंगा कि समाज भण्डारीजी के सार्वजनिक- जीवन से प्रेरणा प्राप्त कर लाभान्वित हो। समाज में आप जैसे रत्न बिरले ही होते हैं। मैंने आपको निकट से देखा है, आप सहृदय हैं, ऐसा मेरा आत्मविश्वास है।
मैं अधिकार पूर्वक भाषा में कह सकता हूँ कि श्री मोहनराजजी भण्डारी एक तपे हुए वरिष्ठ पत्रकार होने के साथसाथ सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मठ कार्यकर्ता भी हैं ।"
अतः प्रस्तुत पुस्तक के बारे में मैं क्या कहूँ और क्यों कहूँ?
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