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"सम्मेद शिखर-विवाद क्यों और कैसा?"
कार्य करने से हमें निश्चय ही डरना चाहिए।हम यहाँ तो धींगाधींगी और मनमानी कर लेंगे लेकिन प्रभु की अदालत में क्या जवाब देंगे?
सम्मेद शिखर के तथाकथित विवाद को लेकर जिस तरह का दुष्प्रचार निरन्तर और व्यापक साधनों के मद में किया जा रहा है उसका हमें अपनी सामर्थ्य के अनुसार निराकरण करना चाहिए। यह समय की मांग और परिस्थितियों का प्रबल तकाजा
प्रस्तुत पुस्तक की पाण्डुलिपी देखी, अच्छी लगी। पुस्तक लेखक-सम्पादक सुश्रावक श्री मोहनराजजी भण्डारी को मैं एक लम्बे समय से खूब अच्छी तरह से जानता हूँ। वे एक योग्य और अनुभवी लेखक व सम्पादक होने के साथ सार्वजनिक क्षेत्र के एक कर्मठ व्यक्ति हैं । भण्डारीजी कई सार्वजनिक व सामाजिक संस्थाओं के प्रमुख पदों से जुड़े होने के साथ ही अजमेर जिले के कई साप्ताहिक एवं पाक्षिक समाचार-पत्रों के भी सम्पादक के रूप में, उन्होंने अच्छी ख्याति प्राप्त की है।
लगभग 45 वर्षों तक राष्ट्रीय पत्र दैनिक "नवज्योति" के समाचार-सम्पादक के पद से अवकाश लेने पर "नवज्योति" परिवार की ओर से उन्हें जो अभिनन्दन पत्र दिया गया उसके महत्वपूर्ण कुछ अंश यहां प्रस्तुत करना सामयिक होगा
"आपकी कार्यकुशलता, सत्यता, कर्तव्य परायणता, कठोर श्रम एवं सरल स्वभाव का ही परिणाम है कि आप सदैव Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com