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( ३२ ) नहीं मिलता तो उनकी अक्षर देह को ही प्रकाश में लाना आवश्यक समझा गया। दूसरा ब्लॉक कवि के एक चित्र-काव्य स्तोत्र का है, जिसका हारबद्ध चित्र पन्यास केशर मुनिजी ने पालीताना से बनाकर भेजा था और दूसरा चित्र-बद्ध उपाध्याय सुखसागरजी ने कवि की कल्याण मन्दिर स्तोत्रवृत्ति के साथ छपवाया है।
जैन साहित्य महारथी स्व० मोहनलाल दलीचन्द देसाई अपनी विद्यमानता में हमारे इस संग्रह को प्रकाशित देखते तो हर्षोल्लास से झूम उठते। अतः उन्हीं की मधुर स्मृति में अपना यह प्रयास समर्पित करते हैं।
अगरचन्द नाहटा भंवरलाल नाहटा
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