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(४) सपादलक्ष देशको व्याप्त कर लिया था, उस समय सदाचार भंग होनेके भयसे मुसलमानोंके अत्याचारके डरसे आशाधर अपने परिवारके साथ देश छोड़कर निकले थे, और मालवाकी धारा नगरीमें आ बसे थे । उस समय मालवाके परमारवंशके प्रतापी राजा विन्ध्यवर्माका राज्य था। वहां उनकी भुजाओंके प्रचंड बलसे तीनों पुरुषार्थोंका साधन अच्छी तरहसे होता था। शहाबुद्दीन गोरीने ईस्वी सन् ११९३ में अर्थात् विक्रम संवत् १ २ ४९ में पृथ्वीराजको कैद करके दिल्लीको अपनी राजधानी बनाई थी। उसी समय अर्थात् संवत १२४९ ( ई० सन् ११९३ ) में उसने अजमेरको अपने आधीन करके वहांके लोगोंकी कतल कराई थी और इसी साल वह अपने एक सरदारको हिन्दुस्थानका सारा कारभार सोप करके गजनीको लौट गया था। इसके पश्चात् सन् ११९४ और ९५में हिन्दुस्थानपर उसकी छठी और सातवीं चढ़ाई और भी हुई थी। छठी चढ़ाईमें उसने कनोज फतह की थी। और सातवीं में दिल्ली, गवालियर, बुन्देलखंड, बिहार, बंगाल,और गुजरात प्रदेश उसने अपने राज्यमें मिला लिये थे। फिर सन् १२०२ में वह ग्यासुद्दीनगारीके मरनेपर गज़नीके तख्तपर बैठा था, और सन् १२०६ में सिंध नदीके किनारे उसे गकर जातिके जंगली लोगोंने मार डाला था। इससे मालूम पड़ता है कि, शहाबुद्दीन गोरीने पृथ्वीराज चौहानसे दिल्लीका सिंहासन छीनते ही अजमेरपर धावा किया होगा।