Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 1
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Ramchandra Khinduka
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* भामेर भंडार के ग्रन्थ :
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प्रत्येक पृष्ठ पर ११ पंक्तियां तथा प्रति पंक्ति में ३४-४० अक्षर । लिपि संवत् १६३२ । लिपिकार ने संग्रामपुर के महाराजा मानसिंह के नाम का तथा जयपुर के दोबान वाल चन्दजी का उनलम्ब किया है। .. . . .
प्रति नं० २. पत्र संख्या १६६ । साइज १३४५ इञ्च ।
प्रति नं. ३। पत्र संस्था १८२ ) साइज ११४ा । लिपि सन १६६२ । लिपि स्थान संग्रामपुर । लिपिकर्ता ने महाराजा मानसिंह के नाम का उल्लेख किया है।
प्रति न० ४. पत्र संख्या. १६६ । लाज १३४५ इञ्च । लिगि संबन १.३३ ।
प्रति नं० ५. पत्र संख्या १८८ । माइज ११४५ इञ्च । प्रत्येक पृष्ठ पर ११ पंक्तियां तथा प्रति क्ति में ३६.४२ अक्षर । प्रति प्राचीन है। आदिनाथपुराण
रचयिता ब्रह्म श्री जि नदास । भाषा हिन्दी पन्छ । पत्र संख्या २१५. माउज १०||४६ इञ्च। प्रत्येक पृष्ठ पर १३ पंक्तियां और प्रति पंक्ति में ३० ३४१ नर । लिपि संयन १८५६. लिपिकर्ता ब्रह्मचारी प्रेमचन्द । मंगलाचरण
आदि जिन्वर आदि जिनेश्वर पारणसेतु सरस्वती मम्मीने बलस्तवु, बुधि सार हू मांगउ निरमल, श्री सकलकीर्तिपाय मणमीने। मुनि भुवनीति गुम्वाहुं सौहजला, ससकरी सी हुरुवडो,
तमबरसादसार, श्री आदि जिणंद गुण वर्णवु चारित्र जोडू भवतार ।।१।। प्रति नं० २ । पत्र संख्या १६३ साइज ११४६ इन्न । प्रति अपूर्ण है। .. .. आदीश्वर फाग।
रचयिता भट्टारक श्री ज्ञान भूषण । भाषा संस्कृत हिन्दी । पत्र संख्या ३१ । प्रत्येक पृष्ठ पर -११ पंक्तियां और प्रति पंक्ति में ३०-३= अक्षर । साइज १०||x५ इञ्च । लोक संख्या ५६१ । लिपि संवत् १६३५ । लिपि स्थान मालपुरा । ग्रन्थ में भगवान आदिनाथ के निर्वाण कल्याण का वर्णन किया गया है।
प्रारम्भ
यो वृदारकवृद यदितपदो जातो युगादौ जया, हत्वा दुर्जयमोहनीयमखिलं शेषं च धातित्रयं ।
बारह