Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 1
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Ramchandra Khinduka
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* आमर भंडारक ग्रन्थ
ही प्रति च पर वे कागज में सोलाइन और देश को विचित्र प्रभार
६ बिन भातक स्पष्ट है. जय १८ और १३ में दूसरे के हाथ की लिखावट है। प्रतिलिपि संवत् १४६१ भादवा बुदि। बधवार । 35 परिच्छेद । ग्रन्थ के अन्त में लिखाने वाले ने अपना यश परिचय दिया है लेकिन वह अपूर्ण है।
प्रति नं० २. पन संख्या ३.७. साइज ११||४|| इञ्च । लिपि संवत् १६६३. आमेर नगर में श्री महाराजा मानसिंह के राज्य में ग्रन्थ की प्रतिलिपि हुई थी। ..
प्रति नं० ३. पत्र संख्या २८८ । साइज १२४४|| इञ्च । लिपि संवत् १६६३ 1 लिपिस्थान बोगदुर्ग।
प्रति नं० . पत्र संख्या २७५ । साइत १२४६।। इञ्च । प्रति अपूर्ण है | गाथाओं के ऊपर सस्कृत में भी शब्दार्थ दे रखा है।
मति नं. ५. पत्र संख्या २१८ । साइज़ १०11211 इञ्च । ।
प्रति नं० ६ पत्र संख्या १४५ । साइज १०||४५ इञ्च । प्रति अपूर्ण है ! -. :.. .. . .....प्रति न० ७. पत्र संख्या ६१ : साइज १३:४६ इञ्च । प्रति अपूर्ण है। . . . . . . . आदिपुराण । रचयिता- -
AT: "नी काx जन सी भाषा संस्कृत। पत्र संख्या ६७० । साइज ११।४।। इश्च । लिपि संवत् १६८१. लिपिस्थान मोजमावाद (जयपुर ) लिपिकत्ता श्री जोशी राघौ।
प्रति न० २. पत्र संख्या ३६६। साइज १२४४।। इश्च । लिपि संवत् १८०३ । लिगिकर्ता श्री हरिकृष्ण
प्रति नं० ३. पत्र संख्या ४०४ । साइज १|| इन्छ । लिपि संवत १८०६ ) लिपि.स्थान जयपुर । लिपिकती छाजूरामजी । लिपिकत्ता ने जयपुर के महाराज श्री माधवसिंह जी के शासन काल उल्लेख किया है। प्रति सुदर, स्पष्ट और नवीन है।
. . . . : प्रति न ४. पत्र संख्या ३७१ ।' साइज शाईच लिपि चहत प्राचीन का अन्तिम पव कुछ फटा हुआ है। - T. :<for: E H :
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प्रति न०५. पत्र संख्या ६७२। साइज'११४५ इश्च । लिपि संवत् १७४६ | पंडित शिवजीराम के पुत्र श्री नेमीचन्द्र के पढ़ने के लिये ग्रन्थ को भेंट किया गया।
-कार. आदिपुराण ।
is Fati रचयिता भट्रारक श्री सबैलेकीर्ति। भाषा संस्कृत । पत्र संख्या १२ । साइज १शाxशा इश्च ।
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ग्यारह