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वर्ग १ अध्ययन १ भगवान् का पदार्पण
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हुआ - मेरा पुत्र कालकुमार तीन हजार हाथियों आदि को लेकर यावत् रथमूसल संग्राम में प्रवृत्त हुआ है तो क्या वह विजय प्राप्त करेगा या विजय प्राप्त नहीं करेगा? वह जीवित रहेगा अथवा जीवित नहीं रहेगा? शत्रु को पराजित करेगा या पराजित नहीं करेगा? क्या मैं कालकुमार को जीवित देख सकूँगी। इत्यादि विचारों से वह उदास हो गई यावत् आर्तध्यान में लीन हो गई।
विवेचन - जागरणा तीन प्रकार की कही गई है - १. कुटुम्ब जागरणा - कुटुम्ब के विषय में विचार करना कि मेरे कुटुम्ब में कौन सुखी या कौन दुःखी है ? उनके दुःख को दूर करने का उपाय करना आदि विचारणा कुटुम्ब जागरणा है २. अर्थ जागरणा - व्यापार विषयक लाभालाभ का विचार करना अर्थ जागरणा है ३. धर्म जागरणा - आध्यात्मिक विचार करना धर्म जागरणा है। ____ काली महारानी कुटुम्ब जागरणा करते समय अपने पुत्र के विषय में सोचने लगी कि मेरा पुत्र चेड़ा राजा के साथ युद्ध कर रहा है। चेड़ा राजा तो महाशक्तिशाली है। उसके साथ युद्ध करना लोहे के चने चबाने जैसा है। ऐसी अवस्था में मैं अपने पुत्र को जीवित देखूगी या नहीं? वह युद्धभूमि में जीतेगा या पराजित होगा? इसी का विचार करती हुई वह अत्यंत शोक मग्ना हो गई। मातृ हृदय पुत्र विरह को सह नहीं सकता इसलिये काली माता को जागरणा करते समय अपने पुत्र कालकुमार का विचार आता है।
भगवान् का पदार्पण - तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे समोसरिए। परिसा णिग्गया। तए णं तीसे कालीए देवीए इमीसे कहाए लद्धट्ठाए समाणीए अयमेयारूवे अज्झथिए जाव समुप्पजित्था-एवं खलु समणे भगवं० पुव्वाणुपुव्विं जाव विहरइ, तं महाफलं खलु तहारूवाणं जाव विउलस्स अट्ठस्स गहणयाए, तं गच्छामि णं समणं जाव पज्जुवासामि, इमं च णं एयाख्वं वागरणं पुच्छिस्सामि त्तिकट्ट एवं संपेहेइ संपेहित्ता कोडुम्बियपुरिसे सद्दावेइ सद्दावित्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया! धम्मियं जाणप्पवरं जुत्तामेव उवट्ठवेह उवट्ठवित्ता जाव पञ्चप्पिणंति॥८॥
भावार्थ - उस काल उस समय में श्रमण भगवान् महावीर स्वामी का चम्पा नगरी में पदार्पण हुआ। प्रभु को वन्दना नमस्कार करने एवं धर्मोपदेश सुनने के लिये परिषद् निकली। तब वह काली देवी भी इस समाचार को जान कर हर्षित हुई और उसे इस प्रकार का मनोगत भाव (संकल्प
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