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निरयावलिका सूत्र
तए णं से सेणिए राया अलियमुच्छियं करेइ करेत्ता मुहत्तंतरेणं अण्णमण्णेण सद्धिं संलवमाणे चिट्ठइ। तए णं से अभयकुमारे सेणियस्स रण्णो उयरवलिमसाई गिण्हेइ गिण्हेत्ता जेणेव चेल्लणा देवी तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता चेल्लणाए देवीए उवणेइ।
तए णं सा चेल्लणा देवी सेणियस्स रण्णो तेहिं उयरवलिमसेहिं सोल्लेहिं जाव : दोहलं विणेइ। तए णं सा चेल्लणा देवी संपुण्णदोहला एवं संमाणियदोहला विच्छिण्णदोहला तं गब्भं सुहंसुहेणं परिवहइ॥ २६॥
कठिन शब्दार्थ - कप्पणीकप्पियं - कैंची (छुरी) से काटना, उत्ताणयं - चित-ऊपर की ओर मुख करके, णिवजावेइ - लिटाया-सुलाया, संपुग्णदोहला - संपन्न दोहद, संमाणियदोहला - सम्मानित दोहद, विच्छिण्णदोहला - निवृत्त दोहद, परिवहइ - वहन करती है।
भावार्थ - तत्पश्चात् अभयकुमार ने उस रक्त और मांस में से थोड़ा भाग कैंची से काटा और काट कर जहाँ श्रेणिक राजा था वहाँ आया। श्रेणिक राजा को एकान्त में शय्या पर ऊपर की ओर मुख करके लिटा दिया। लिटा कर श्रेणिक राजा की उदरावली पर उसी गीले रक्त मांस को फैला दिया
और वस्तिपुटक को लपेट दिया। फिर महारानी चेलना को महल के ऊपर भाग में ऐसे स्थान पर बिठाया जहाँ से वह इस दृश्य को देख सके। चेलना देवी को बिठा कर ठीक नीचे सामने की ओर श्रेणिक राजा को शय्या पर चित लिटा दिया और लिटा कर कैंची से श्रेणिक राजा की उदरावली का मांस काट काट कर एक पात्रं (बर्तन) में रखा। तब श्रेणिक राजा कुछ देर तक बनावटी (झूठमूठ) मूविस्था में पड़ा रहा और उसके कुछ समय बाद अपने साथियों से बातचीत करने लगा। ___ तत्पश्चात् अभयकुमार ने श्रेणिक राजा के उस उदरावली के मांस को लिया, लेकर जहाँ चेलना देवी थी वहाँ आया और आकर चेलना देवी को दे दिया। तब चेलना देवी ने श्रेणिक राजा के उस उदरमांस को पका कर यावत् अपने दोहद को पूर्ण किया। ___ तत्पश्चात् वह चेलना देवी अपने दोहद के संपूर्ण होने, सम्मानित होने, संपन्न (निवृत्त) होने पर उस गर्भ का सुख-पूर्वक वहन करने लगी। - विवचन-- अभयकुमार बड़े विनीत और मातृपितृ भक्त थे। अभयकुमार ने अपने बुद्धिबल से चेलना महारानी का दोहद पूर्ण किया। दोहद की यथेच्छ पूर्ति हो जाने पर चेलना देवी अपने गर्भ का यथाविधि बड़े आनंद और उल्लास के साथ पालन पोषण करने लगी।
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