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वर्ग १ अध्ययन १ चेटक का अठारह गणराजाओं से परामर्श
भावार्थ - काल आदि दस कुमारों के आने के बाद कोणिक राजा अपने कौटुम्बिक पुरुषों को बुलाता है और बुला कर इस प्रकार कहा-हे देवानुप्रियो! शीघ्रातिशीघ्र आभिषेक्य हस्ती रत्न को सुसज्जकर घोड़े, हाथी, रथ और चतुरंगिणी सेना को सन्नद्ध-युद्ध के लिए तैयार करो। मेरी आज्ञानुसार तैयारी कर मुझे सूचित करो। यावत् राजाज्ञानुसार सभी कार्य कर राजा को सूचित किया। तत्पश्चात् कोणिक राजा जहाँ स्नानघर था वहाँ आया और स्नान आदि कार्यों से निवृत्त हो यावत् वहाँ से निकल कर जहाँ बाहरी उपस्थानशाला (सभा मण्डप) थी वहाँ आया यावत् हस्ती रत्न पर आरूढ़ हुआ।
कोणिक का युद्ध के लिए प्रस्थान तए णं से कूणिए राया तिहिं दंतिसहस्सेहिं जाव रवेणं चंपं णयरिं मज्झं मज्झेणं णिग्गच्छइ णिग्गच्छित्ता जेणेव कालाईया दस कुमारा तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता कालाइएहिं दसहिं कुमारेहिं सद्धिं एगओ मेलायंति। तए णं से कूणिए राया तेत्तीसाए दंतिसहस्सेहिं तेत्तीसाए आससहस्सेहिं तेत्तीसाए रहसहस्सेहिं तेत्तीसाए मणुस्सकोडीहिं सद्धिं संपरिवुडे सव्विड्डीए जाव रवेणं सुभेहिं वसहीहिं सुभेहिं पायरासेहिं णाइविगिद्धेहिं अंतरावासेहिं वसमाणे वसमाणे अंगजणवयस्स मज्झं • मज्झेणं जेणेव विदेहे जणवए जेणेव वेसाली णयरी तेणेव पहारेत्य गमणाए ॥६४॥ ___ भावार्थ - तत्पश्चात् कोणिक राजा तीन हजार हाथियों यावत् वाद्य घोष पूर्वक चंपा नगरी के मध्य में से निकला, निकल कर जहाँ काल आदि दस कुमार थे वहाँ आया और काल आदि दस कुमारों से मिला। उसके बाद वह कोणिक राजा तेतीस हजार हाथियों, तेतीस हजार घोड़ों, तेतीस हजार रथों और तेतीस करोड़ पैदल सैनिकों से घिरा हुआ सर्व ऋद्धि यावत् घोष पूर्वक शुभ स्थानों में । (सुविधाजनक) पड़ाव डालता हुआ, खान-पान करता हुआ थोड़ी-थोड़ी दूर पर डेरा डाल कर विश्राम करता हुआ अंग जनपद के मध्य में से होते हुए जहाँ विदेह जनपद था जहाँ वैशाली नगरी थी वहीं पर जाने का निश्चय किया।
चेटक का अठारह गणराजाओं से परामर्श तए णं से चेडए राया इमीसे कहाए लढे समाणे णव मलई णव लेच्छई कासीकोसलगा अट्ठारसवि गणरायाणो सद्दावेइ सद्दावित्ता एवं वयासी - एवं खलु
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