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वर्ग ३ अध्ययन ४ सोमा द्वारा संतानोत्पत्ति
११५ ........................................................... पडिकूविएणं सुक्केणं पडिरूवएणं णियगस्स भाइणेज्जस्स रटुकूडस्स भारियताए दलइस्सइ। सा णं तस्स भारिया भविस्सइ इट्ठा कंता जाव भण्डकरण्डगसमाणा तेल्लकेला इव सुसंगोविया चेलपे(ला)डा इव सुसंपरिग्गहिया रयणकरण्डगो विव सुसारक्खिया सुसंगोविया मा णं सीयं जाव विविहा रोगायंका फुसंतु॥१३१॥
कठिन शब्दार्थ - उम्मुक्कबालभावा - बालभाव से उन्मुक्त, विग्णयपरिणयमेत्ता - विषय सुख से भिज्ञ, जोव्वणगमणुप्पत्ता - यौवनावस्था में प्रवेश कर, स्वेण - रूप से, गौर आदि सुंदर वर्ण वाले आकार को रूप कहते हैं, जोव्वणेण - यौवन से, लावण्णेण - लावण्य से, उक्किट्ठा - उत्कृष्ट, उक्किट्ठसरीरा - उत्कृष्ट शरीर वाली, पडिकूविएणं - प्रतिकूपितेन-देने योग्य प्रचूर आभूषण आदि से, पडिरूवएणं - प्रति रूपेण-अनुकूल प्रिय वचनों से, रडकुडस्स - राष्ट्रकूट की, भारियस्स - भार्या के रूप में, भण्डकरण्डग-समाणा - भाण्डकरण्डक-आभूषणों की पेटी के समान, तेल्लकेलातेलपात्र, सुसंगोविया - यत्नपूर्वक सुरक्षा करेगा, सुसंपरिग्गहिया - भली भांति देखभाल करेगा, सुसारक्खिया - सुरक्षा का ध्यान रखेगा।
भावार्थ - वह सोमा बालभाव से मुक्त होकर, विषय सुख के परिज्ञान के साथ यौवनावस्था में प्रवेश कर रूप-यौवन-लावण्य से उत्कृष्ट (उत्तम) और उत्कृष्ट शरीर वाली होगी। ___ तत्पश्चात् माता-पिता बाल्यावस्था पार कर यौवनावस्था में प्रविष्ट उस सोमा बालिका को विषय सुख से अभिज्ञ जानकर देने योग्य गृहस्थोपयोगी उपकरणों, धन आभूषणों और अनुकूल प्रिय वचनों के साथ अपने भानजे राष्ट्रकूट के साथ उसका विवाह कर देंगे। वह सोमा उस राष्ट्रकूट की इष्ट, कांत भार्या होगी यावत् वह उस सोमा की भाण्डकरण्डक (आभूषणों की पेटी) के समान, तेल के सुन्दरं पात्र के समान यत्नपूर्वक रक्षा करेगा, वस्त्रों की पेटी (पिटारे) के समान उसकी भलीभांति देखभाल करेगा, रत्नकरण्डक के समान उसकी सुरक्षा का ध्यान रखेगा और उसको शीत, उष्ण, वात, पित्त, कफ एवं सन्निपातजन्य रोग और आतंक स्पर्श नहीं कर सके, इस प्रकार से सर्वदा चेष्टा करता रहेगा।
सोमा द्वारा संतानोत्पत्ति तए णं सा सोमा माहणी रटकूडेणं सद्धिं विउलाई भोगभोगाई भुंजमाणी संवच्छरे संवच्छरे जुयलगं पयायमाणी सोलसेहिं संवच्छरेहिं बत्तीसं दारगरूवे पयायइ। तए णं सा सोमा माहणी तेहिं बहूहिं दारगेहि य दारियाहि य कुमारेहि
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