________________
निरयावलिका सूत्र
कालकुमार की मृत्यु
तणं से काले कुमारे तिहिं दंतिसहस्सेहिं जाव मणूसकोडीहिं गरुलवूहेणं एक्कारसमेणं खंधेणं कूणिएणं रण्णा सद्धिं रहमुसलं संगामं संगामेमाणे हयमहिय० जहा भगवया कालीए देवीए परिकहियं जाव जीवियाओ ववरोविए ॥ ७१ ॥
५६
भावार्थ - उसके बाद वह कालकुमार तीन हजार हाथियों यावत् तीन करोड़ पैदल सैनिकों के साथ गरुड़ व्यूह के ग्यारहवें स्कन्ध (भाग) में कोणिक राजा के साथ रथमूसल संग्राम करता हुआ ह और मथित हो गया इत्यादि जिस प्रकार भगवान् ने काली देवी को कहा है तदनुसार यावत् वह'
मारा गया।
चौथी नरक में उत्पत्ति
तं एवं खलु गोयमा ! काले कुमारे एरिसएहिं आरम्भेहिं जाव एरिसएणं असुभकडकम्मपब्भारेणं कालमासे कालं किच्चा चउत्थीए पंकप्पभाए पुढवीए हेमाभे णरए णेरइयत्ताए उववण्णे ॥ ७२ ॥
भावार्थ - इस प्रकार निश्चय ही हे गौतम! वह कालकुमार ऐसे आरम्भों से तथा इस प्रकार के कृत अशुभकर्मों के कारण काल के समय काल करके चौथी पंकप्रभा पृथ्वी के हेमाभ नामक नरकावास में नैरयिक रूप से उत्पन्न हुआ है।
उपसंहार
काले णं भंते! कुमारे चउत्थीए पुढवीए... अनंतरं उब्वट्टित्ता कहिं गच्छहि कहिं उववज्जिहि ?
गोयमा ! महाविदेहे वासे जाई कुलाई भवंति अड्ढाई जहा दढपइण्णो जाव सिज्झिहिइ बुज्झिहिइ जाव अंतं काहिइ ॥ ७३ ॥
भावार्थ - हे भगवन्! वह कालकुमार चौथी नरक पृथ्वी से निकल कर कहाँ जायेगा ? कहाँ उत्पन्न होगा?
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org