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निरयावलिका सूत्र ......................................................... शरीर मिला। इससे कोणिक बहुत दुःखी हुआ। पिता के निधन पर कोणिक सपरिवार चंपानगरी में चला गया। चंपा को अपनी राजधानी बना कर कोणिक राज्य का संचालन करने लगा। ___तए णं से कूणिए राया अण्णया कयाइ कालाईए दस कुमारे सद्दावेइ सद्दावित्ता रज्जं च जाव जणवयं च एक्कारसभाए विरिंचइ विरिचित्ता सयमेव रज्जसिरिं करेमाणे पालेमाणे विहरइ॥४४॥
भावार्थ - तत्पश्चात् कोणिक राजा किसी समय काल आदि दसों कुमारों को बुलाता है बुला कर राज्य यावत् जनपद के ग्यारह विभाग किये और उनको कालादिकुमारों में बांट दिये तथा कोणिक स्वयं अपने हिस्से में आए हुए राज्य पर सुख पूर्वक प्रजा पालन करते हुए राज्य करने लगा।
वेहल्लकुमार की क्रीड़ा तत्थ णं चंपाए णयरीए सेणियस्स रण्णो पुत्ते चेल्लणाए देवीए अत्तए कूणियस्स रण्णो सहोयरे कणीयसे भाया वेहल्ले णामं कुमारे होत्था, सोमाले जाव सुरूवे।
तए णं तस्स वेहल्लस्स कुमारस्स सेणिएणं रण्णा जीवंतएणं चेव सेयणए गंधहत्थी अट्ठारसवंके य हारे पुव्वदिण्णे। तए णं से वेहल्ले कुमारे सेयणएणं गंधहत्थिणा अंतेउरपरियालसंपरिवुडे चंपं णयरिं मझमज्झेणं णिग्गच्छइ णिग्गच्छित्ता अभिक्खणं अभिक्खणं गंगं महाणई मज्जणयं ओयरइ। तए.णं सेयणए गंधहत्थी देवीओ सोण्डाए गिण्हइ गिण्हित्ता अप्पेगइयाओ पुढे ठवेइ, अप्पेगइयाओ खंधे ठवेइ, एवं कुंभे ठवेइ, सीसे ठवेइ, दंतमुसले ठवेइ, अप्पेगइयाओ सोंडाए गहाय उठं वेहासं उव्विहइ, अप्पेगइयाओ सोण्डागयाओ अंदोलावेइ, अप्पेगइयाओ दंतंतरेसु णीणेइ, अप्पेगइयाओ सीभरेणं ण्हाणेइ, अप्पेगइयाओ अणेगेहिं कीलावणेहिं कीलावेइ। तए णं चंपाए णयरी सिंघाडग-तिग-चउक्क-चच्चर-महापहपहेसु बहुजणो अण्णमण्णस्स एवमाइक्खइ जाव परूवेइ-एवं खलु देवाणुप्पिया! वेहल्ले कुमारे सेयणएणं गंधहत्थिणा अंतेउर० तं चेव जाव अणेगेहिं कीलावणएहिं कीलावेइ, तं एस णं वेहल्ले कुमारे रज्जसिरिफलं पञ्चणुभवमाणे विहरइ, णो कूणिए राया॥४५॥
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