________________
निरयावलिका सूत्र
विवेचन - महारानी चेलना को मध्य रात्रि के समय कुटुम्ब जागरणा करते समय विचार
1
आया कि जो पुत्र गर्भ में रह कर ही पिता के कलेजे का मांस खाने की चाह करता है, वह जन्म और बड़ा होने पर न जाने यह पिता का या कुल का क्या अनिष्ट करेगा ? इसी विचार से प्रेरित होकर उसने गर्भ को गिराने के अनेक प्रयत्न किये परन्तु वह इसमें सफल न हो पायी।
पुत्र जन्म, उकरड़ी पर फिंकवाना
२८
तए णं सा चेल्लणा देवी णवण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं जाव सोमालं सुरूवं दारगं पयाया ।
तणं ती चेल्ला देवीए इमे एयारूवे जाव समुप्पज्जित्था - जइ ताव इमेणं दारएणं गब्भगएणं चेव पिउणो उयरवलिमंसाई खाइयाई, तं ण णज्जइ णं एस दारए संवमाणे अम्हं कुलस्स अंतकरे भविस्सइ, तं सेयं खलु अम्हं एयं दारगं एगंते उक्कुरुडियाए उज्झावित्तए, एवं संपेहेइ संपेहित्ता दासचेडिं सद्दावेइ सद्दावित्ता एवं वयासी - गच्छह णं तुमं देवाणुप्पिए ! एवं दारगं एगंते उक्कुरुडियाए उज्झाहि ॥ २८ ॥
कठिन शब्दार्थ - उक्कुरुडियाए - उकरड़ी - कूड़े कचरे का ढेर, उज्झाहि - फेंक दो । भावार्थ - तदनन्तर उस चेलना देवी ने मास पूर्ण होने पर यावत् एक सुकुमार सुंदर बालक को जन्म दिया।
तत्पश्चात् चेलना देवी के मन में इस प्रकार संकल्प उत्पन्न हुआ कि - इस बालक ने गर्भ में आते ही पिता के उदर का मांस खाया है तो हो सकता है कि यह बालक संवर्द्धित-सवयस्क- समर्थ होने पर हमारे कुल का भी अंत करने वाला हो जाय ? अतएव इस बालक को किसी एकान्त उकरडीकूडे कचरे के ढेर में फैंक देना ही श्रेयस्कर होगा । ऐसा विचार कर उसने अपनी दासी को बुलाया और बुला कर कहा-“हे देवानुप्रिये! तुम जाओ और इस बालक को ले जाकर एकान्त में किसी कूड़े कचरे के ढेर पर फैंक आओ।"
विवेचन - पति के स्नेह वश महारानी चेलना अपने मातृहृदय को भूल कर एवं भविष्य की घटनाओं से आतंकित होकर अपने बालक को भी कूड़े कचरे में फिंकवा देने का विचार करती है।
तए णं सा दासचेडी चेल्लणाए देवीए एवं वृत्ता समाणी करयल० जाव कट्टु चेल्लणाए देवीए एयमट्टं विणएणं पडिसुणेइ पडिसुणेत्ता तं दारगं करयलपुडेणं गिण्ह
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org