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वर्ग १ अध्ययन १ चेलना देवी का संकल्प
चेलना देवी का संकल्प
तं णं तीसे चेल्लणाए देवीए अण्णया कयाइ पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि अयमेयारूवे जाव समुप्पज्जित्था - जइ ताव इमेणं दारएणं गब्भगएणं चेव पिउणो उयरवलिमंसाणि खाइयाणि, तं सेयं खलु मए एयं गब्भं साडित्तए वा पाडित्तए वा गालित्तए वा विद्धंसित्तए वा, एवं संपेहेइ संपेहित्ता तं गन्धं बहूहिं गब्भसाडणेहि य गब्भपाडणेहि य गब्भगालणेहि य गन्भविद्धंसणेहि य इच्छइ तं गब्भं साडित्तए वा पात्तिए वा गात्तिए वा विद्धंसित्तए वा, णो चेव णं से गब्भे सडइ वा पडइ वा गलइ वा विद्धंसइ वा। तए णं सा चेल्लणा देवी तं गब्भं जाहे णो संचाएइ बहूहिं गब्भसडणेहि य जाव गन्भविद्धंसणेहि य साडित्तए वा जाव विद्धंसित्तए वा ताहे संता तंता परितंता णिव्विण्णा समाणी अकामिया अवसवसा अट्टवसट्टदुहट्टा तं गब्भं परिवहइ ॥२७॥
कंठिन शब्दार्थ - साडित्तए - सातना - खण्ड-खण्ड करके नष्ट कर देना, पाडित्तए - पातनाअखण्ड रूप से गिरा देना, गालित्तए - गला देना, विद्धंसित्तए - विध्वस्त कर देना, संता - श्रान्त, तंता - क्लांत, परितंता - खिन्न, णिव्विण्णा - उदास, अकामिया - अनिच्छा से, अवसवसा - विवशता से, अट्टवसट्टदुहट्टा - दुस्सह आर्त्तध्यान से ग्रस्त होकर ।
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भावार्थ - तदनन्तर किसी काल में मध्यरात्रि के समय चेलना देवी के हृदय में यह संकल्पविचार उत्पन्न हुआ कि - ‘इस बालक ने गर्भ में आते ही अपने पिता के कलेजे का मांस खाया है, अतः इस गर्भ को नष्ट कर देना, गिरा देना, गला देना एवं विध्वस्त कर देना ही मेरे लिए श्रेयकर होगा ।' ऐसा निश्चय करके चेलनादेवी ने बहुत सी गर्भ गिराने की चेष्टा करने वाली, गिराने वाली, गलाने वाली और विध्वस्त करने वाली औषधियों से उस गर्भ को नष्ट करना, गिराना, गलाना और विध्वस्त करना चाहा किन्तु वह गर्भ नष्ट नहीं हुआ, गिरा नहीं, गला नहीं और विध्वस्त नहीं हुआ ।
जब चेलना देवी उस गर्भ को पूर्वोक्त उपायों से नष्ट करने में समर्थ न हो सकी तो शरीर से श्रान्त, क्लान्त-मन से दुःखित तथा शरीर और मन से खिन्न होती हुई अनिच्छा से विवशता के कारण दुस्सह आर्त्तध्यान से ग्रस्त हो उस गर्भ का धारण करने लगी।
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