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वर्ग १ अध्ययन १ पुत्र शोक से अभिभूत काली देवी
१५ ........................................................... उनके प्राण पखेरु उड़ गये। अतः हे कालीदेवी! तुम्हारे प्रश्न का उत्तर यही है कि कालकुमार जीवित नहीं है अतः अब तुम उसे जीवित नहीं देख सकोगी। ____ पुत्र वियोग ही काली रानी के वैराग्य का कारण जान कर प्रभु ने इस प्रकार की भाषा का प्रयोग किया है।
पुत्र शोक से अभिभूत काली देवी ___तए णं सा काली देवी समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियं एयमदं सोचा णिसम्म महया पुत्तसोएणं अप्फुण्णा समाणी परसुणियत्ता विव चम्पगलया धसत्ति धरणीयलंसि सव्वंगेहिं संणिवडिया। ___तए णं सा काली देवी मुहुत्तंतरेणं आसत्था समाणी उठाए उठेइ उद्वित्ता समणं भगवं महावीरं वंदइ णमंसइ वंदित्ता णमंसित्ता एवं वयासी-एवमेयं भंते! तहमेयं भंते! अवितहमेयं भंते! असंदिद्धमेयं भंते! सच्चे णं भंते! एसमढे जहेयं तुब्भे वयह तिक समणं भगवं० वंदइ णमंसइ वंदित्ता णमंसित्ता तमेव धम्मियं जाणप्पवरं दुरूहइ दुरूहित्ता जामेव दिसि पाउन्भूया तामेव दिसिं पडिगया॥ १२॥
कठिन शब्दार्थ - पुत्तसोएणं - पुत्र शोक से, अप्फुण्णा - अभिभूत होकर, परसुणियत्ता - परशु (कुल्हाड़ी) से काटी हुई, धसत्ति - धड़ाम से, धरणियलंसि - पृथ्वीतल पर, संणिवडिया - | गिर पड़ी, अवितहमेयं - यह अवितथ-असत्य नहीं है, असंद्धिद्धमेयं - यह असंदिग्ध है।
भावार्थ - श्रमण भगवान् महावीर स्वामी के इस कथन को सुन कर हृदय में धारण करके काली देवी पुत्र शोक से उद्विग्न होकर परशु (कुल्हाड़ी) से काटी गई चंपक लता के समान धड़ाम सेसर्वांगों से पृथ्वीतल पर गिर पड़ी। ___ कुछ समय पश्चात् काली देवी स्वस्थ होने पर उठ खड़ी हुई और श्रमण भगवान् को वंदन नमस्कार करती है। वंदन नमस्कार करके वह इस प्रकार बोली- 'हे भगवन्! ऐसा ही है जैसा आपने फरमाया है। आपका कथन सत्य है, यथार्थ है, तथ्य है, असंदिग्ध है। इस प्रकार कह कर श्रमण भगवान् महावीर स्वामी को पुनः वंदन नमस्कार करती है। वंदन नमस्कार करके वह उसी श्रेष्ठ धार्मिक रथ पर आरूढ होकर जिस दिशा से आई थी पुनः उसी दिशा में लौट गई।
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