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[ मूलाचारे
तथैव प्रतिपादयन्नाह
णिज्जावगो य णाणं वादो झाणं चरित्त णावा हि ।
भवसागरं तु भविया तरंति तिहिसण्णिपायेण ॥६००॥ नौचारित्रयो रूपकालंकारमाह संसारसमुद्रतरणे-ननु समुद्रतरणे पोतेन भवितव्यं निर्जीवकेन वातेन च तत्कथमत्रेत्याशंकायामाह-निर्जीवकोयः पोते सर्वमुपसर्गजातं पश्यति स निर्जीवको ज्ञानं, वातो ध्यानं, चारित्रं नौ: पोतः, भवः संसारः सागरः समुद्रो जलधिः, तु एवकारार्थः । भव्या रत्नत्रयोपेतमनुजास्तरन्ति समतिकामन्ति त्रिसंनिपातेन त्रयाणां संयोगेन। यथा निर्जीवकवातनौसंयोगेन वणिजः समुद्र तरन्ति एव ज्ञानध्यानचारित्रसंयोगेन संसारं तरंत्येव भव्या इति ॥१०॥ किमिति कृत्वा त्रयाणां संयोगे मोक्ष इत्याशंकायामाह
गाणं पयासमो तओ सोधओ संजमो य गुत्तियरो।
तिण्हं पि य संपजोगे होवि हु जिणसासणे मोक्खो ॥६०१॥ यतो ज्ञान प्रकाशक द्रव्यस्वरूपप्रदर्शक हेयोपादेयविवेककारण, तपः शोधकं शोधयति कर्माणीति शोधकं सर्वकर्मणामपायकारणमात्र, तपःशब्देन ध्यानं परिगृह्यते तस्य प्रस्तुतत्वादथवा सर्वस्य वा ग्रहणं
उसी बात को बतलाते हैं
गाथार्थ--खेवटिया ज्ञान है, वायु ध्यान है और नौका चारित्र है। इन तीनों के संयोग से ही भव्य जीव भवसागर को तिर जाते हैं ॥६००॥
___ आचारवृत्ति—यहाँ सागर से तिरने के लिए नौका और चारित्र इन दोनों में रूपकालंकार को दिखाते हुए कहते हैं
शंका-समुद्र को पार करने के लिए जहाज, खेवटिया और हवा होना चाहिए। सो यहां पर कैसे पार होंगे?
समाधान-जो जहाज में सर्व उपद्रव समूह को देखता है वह कर्णधार ज्ञान है, हवा ध्यान है और चारित्र नाव है और यह संसार सागर है। गाथा में 'तु' शब्द एवकार अर्थ में है। अतः रत्नत्रय संयुक्त भव्य जीव ही इन तीनों के मिलने से संसार-सागर को पार कर लेते हैं । जैसे कर्णधार वायु और नौका के संयोग से व्यापारी समुद्र से पार हो जाते हैं वैसे ही ज्ञान, ध्यान और चारित्र के संयोग से भव्यजीव संसार से तिर ही जाते हैं।
किस कारण इन तीनों के संयोग से ही मोक्ष की प्राप्ति होती है ? ऐसी आशंका होने पर कहते हैं
माथार्थ-ज्ञान प्रकाशक है, तप शोधक है, और संयम रक्षक है । इन तीनों के मिलने पर ही जिन-शासन में मोक्ष-प्राप्ति होती है ।।६०१॥
आचारवृत्ति-ज्ञान प्रकाशक है क्योंकि वह द्रव्यों के स्वरूप को प्रदर्शित करनेवाला है और हेयोपादेय विवेक का कारण है। तप कर्मों को शुद्ध करता है अतः शोधक है अर्थात सर्व कर्मों के नाश का कारण है। यहाँ पर तप शब्द से ध्यान को ग्रहण किया है क्योंकि यहाँ
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