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[मूलाचारे पक्खीणं-पक्षिणां भैरुंडादीनां, उक्कस्तं-उत्कृष्टमायुरिति संबन्धः, वाससहस्सा-वर्षसहस्राणि, विसत्तरी-द्वाससप्तिः, होंति-भवन्ति । एगा य—एका च, पुवकोडी-पूर्वकोटी, असण्णीणं-असंजिनां मनोविरहितपंचेन्द्रियाणा, तह-तथा, कम्मभूमिणं-कर्मभौमानां “कर्मभौमशब्दोऽनन्तराणां सर्वेषां विशेषणम्" तथाशब्देन सप्ततिशतार्यखण्डप्रभवा मनुष्याः परिगृह्यन्ते । कर्मभूमिजानां पक्षिणा मुत्कृष्टमायुसप्ततिवर्षसहस्राणि भवन्ति, असंशिनां, कर्मभूमिजमनुष्याणामन्येषां कर्मभूमिप्रतिभागजानां चैका पूर्वकोटी वर्षाणां परमायुभवतीति ॥१११३॥ अप भोगभूमिजानां किंप्रमाणं परमायुरित्यत आह
हेमवदवंसयाणं तहेव हेरण्णवंसवासीणं।।
मणुसेसु य मेच्छाणं हवदि तु पलिदोपमं एक्कं ॥१११४॥ हेमवववंसयाणं-हैमवतवंशजाना, सहैव - तथैव हैरण्यवतवंशवासिना, मणुसेसु य–मानुषेषु च मध्ये, मेच्छाणं-म्लेच्छानां सर्वम्लेच्छखण्डेषु जातानां भोगभूमिप्रतिभागजानां अन्तर्दीपजानां वा समुच्चयश्चशब्देन, हववि तु–भवति तु, पलिदोपम-पल्योपममेकम् । पंचसु जघन्यभोगभूमिषु हैमवतसंज्ञकासु' तथा परासु पंचसु जघन्यभोगभूमिषु हैरण्यवतसंज्ञकासु च मध्ये सर्वम्लेच्छखण्डेषु जातानां भोगभूमिप्रतिभागजानामन्तद्वीपजानां च पल्योपममेकं परमायुरिति ।।१११४॥ मध्यमभोगभूमिजानां परमायुःप्रमाणमाह
हरिरम्मयवंस सु य हवंति पलिदोवमाणि खलु दोण्णि। तिरिएसु य सण्णीणं तिण्णि य तह कुरुवगाणं च ॥१११५॥
आचारवृत्ति-भैरुण्ड आदि पक्षियों की उत्कृष्ट आयु बहत्तर हजार वर्ष प्रमाण है । 'कर्मभौम' शब्द अनन्तर के सभी का विशेषण है। और 'तथा' शब्द से एक सौ सत्तर आर्य खण्ड में होनेवाले मनुष्यों को लेना । अर्थात् कर्मभूमिज पक्षियों की उत्कृष्ट आयु बहत्तर हजार वर्ष है। मसंझी-मनरहित पंचेन्द्रिय तिर्यंचों की, कर्मभूमिज मनुष्यों की तथा कर्मभूमि के प्रतिभाग में होनेवाले मनुष्यों की उत्कृष्ट आयु एक कोटिपूर्व वर्ष की है।
भोगभूमिजों की आयु कितने प्रमाण है ? उसे ही बताते हैं___ गाथार्थ-हैमवतक्षेत्र में होनेवाले और हैरण्यवत क्षेत्र में होनेवाले जीवों की, मनुष्यों में म्लेच्छों की उत्कृष्ट आयु एक पल्योपम है ॥१११४॥
आचारवृत्ति-पाँच हैमवत क्षेत्र हैं, उनमें जघन्य भोगभूमि है। पांच हैरण्यवत क्षेत्र हैं, उनमें भी जघन्य भोगभूमि है। इनमें होनेवाले भोगभूमिजों की उत्कृष्ट आयु एक पल्य है। सर्वम्लेच्छ खण्डों में होनेवाले, भोगभूमि के प्रतिभाग में होनेवाले अथवा अन्तर्वीप में होनेवाले कुभोगभूमि के मनुष्य-इन सब की उत्कृष्ट आयु एक पल्योपम प्रमाण है।
मध्यम भोगभूमिजों आदि की उत्कृष्ट आयु कहते हैं
गाथार्थ-हरिक्षेत्र और रम्यकक्षेत्र के जीवों की उत्कृष्ट आयु दो पल्योपम है। संज्ञी तिर्यंच और देवकुरु-उत्तरकुरु के मनुष्यों की आयु तीन पल्योपम है ॥१११५॥
१. जातानां तिर्यङ्मनुष्याणां परमायुः पल्यमेकमेव भवति तथा मनुष्येषु च मध्ये सर्वम्लेच्छखण्डेषु जाताना भोगभूमिप्रतिभागजानामन्तीपजानां च पल्योपममेकं परमायुरिति इति क प्रतौ।
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