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पृ. सं.
विषय
- पृ. सं. विषय शीलगुणोंके संख्या प्रस्तार अ- वेदका वर्णन .... .... ३९६
क्षसंक्रमण नष्ट उद्दिष्ट ऐसे लेश्याका वर्णन .... ३९८ · पंचविकल्प वर्णन .... ३६६ प्रतिचार सूत्रमें पांचों इंद्रिशीलगुणका फलवर्णन .... ३६९ योंके प्रतीचारका वर्णन ३९९ पर्याप्तिनामाधिकार १२(२०२) उपपाद उद्वर्तनका (जीवोंकी मंगलाचरण, वीससूत्रपदोंका
। गति आगतिका) वर्णन ४०४ ___ वर्णन .... ....
स्थानाधिकारसूत्रका वर्णन उसमें ।
३६९ पर्याप्तिसूत्रका वर्णन ....
___ जीवसमासोंका वर्णन .... ४१४ देहसूत्रका वर्णन उसमें देव
गुणस्थानोंका वर्णन .... ४१७ देहका वर्णन ....
मार्गणास्थानोंका वर्णन .... ४१७ नरकदेहका वर्णन ....
जीवोंके कुलोंका वर्णन .... ४२१ देव तथा मनुष्यतिवैचोंके
चारों गतिके जीवोंका अल्प
___ बहुत्व वर्णन .... ४२१ शरीरकी उंचाई वर्णन ३७५
|बंधहेतुका वर्णन चार प्रकाद्वीपसमुद्रोंका वर्णन .... ३७९
रके हेतु .... .... ४२४ मच्छादिक जीवोंकी जघन्य प्रकृतिबंधका विशेष वर्णन ४२५ उत्कृष्ट अवगाहनाका वर्णन ३८१
स्थितिबंधका वर्णन .... कायसंस्थानका वर्णन .... ३८३ अनुभागबंधका वर्णन .... ४३० इंद्रियसंस्थान तथा इंद्रियोंके
प्रदेशबंधका वर्णन .... ४३१ विषयोंका वर्णन .... ३८४ | आठों कर्म क्षय करके अष्ट योनिस्वरूपका वर्णन .... ३८७ गुणविराजमान परमात्मा चारों गतिके जीवोंकी आयुका भगवान मोक्षपदको प्राप्त
वर्णन .... .... ३८९ होते हैं उसका वर्णन संख्याप्रमाणका वर्णन .... रूप अंतमंगलाचरणकर योगका वर्णन .....३९६ ग्रंथ समाप्त
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