Book Title: Mulachar
Author(s): Manoharlal Shastri
Publisher: Anantkirti Digambar Jain Granthmala

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Page 12
________________ विषय २५९ ११ पृ. सं. विषय वंदनीय अवंदनीयका भेद वर्णन २२४ | अनित्यत्वानुप्रेक्षाका वर्णन २५६ कितने स्थानोंमें वंदना करना | अशरणानुप्रेक्षाका वर्णन .... २५६ ___ उसका वर्णन .... २२५ एकत्वानुप्रेक्षाका वर्णन .... २५७ वंदनाके बत्तीसदोष .... २२८ अन्यत्वानुप्रेक्षाका वर्णन .... वंदनानियुक्तिकी समाप्तिका संसारानुप्रेक्षाका वर्णन .... __ वर्णन .... .... २३०/ लोकानुप्रेक्षाका वर्णन .... २६२ प्रतिक्रमण नियुक्तिके छह निक्षेप२३१ अशुचित्वानुप्रेक्षाका वर्णन.... प्रतिक्रमणका स्वरूप भेद आस्रवानुप्रेक्षाका वर्णन .... २६७ भेदोंका स्वरूप .... २३१ संवरानुप्रेक्षाका वर्णन .... २७१ तथा आलोचनाका स्वरूप निर्जरानुप्रेक्षाका वर्णन .... २७२ विधान वर्णन .... धर्मानुप्रेक्षाका वर्णन .... २७४ प्रत्याख्याननियुक्तिके छह बोधदुर्लभानुप्रेक्षाका वर्णन २७६ . निक्षेप .... .... २३७ अनुप्रेक्षाकी महिमावर्णन प्रत्याख्यानके दस भेदोंका अधिकार पूर्ण ___ वर्णन .... २३८ .... २७९ .... अनगारभावनाधिचार प्रकारके प्रत्याख्यानकी कार ।९। (१२५) शुद्धताका वर्णन .... २३९ | मंगलाचरणपूर्वक अनगारभाकायोत्सर्गके छह निक्षेपोंका वना कहनेकी प्रतिज्ञा २८० वर्णन .... .... २४२ कायोत्सर्गका विशेष वर्णन २४२ लिंगशुद्धि आदि दश प्रकार आवश्यककी महिमा तथा | शुद्धिके नाम तथा इनकी आसिका निषेधिकाका महिमा .... .... स्वरूप . .... .... २५४ / लिंगशुद्धिका वर्णन .... आवश्यक पालनेका फल .... २५५ व्रतशुद्धिका वर्णन.... .... २८५ द्वादशानुप्रेक्षाधिकार ।। (७६) वसतिकाशुद्धिका वर्णन मंगलाचरणपूर्वक बारह अनुप्रे- | विहारशुद्धिका वर्णन क्षाओंके नाम.... .... २५५ भिक्षाशुद्धिका वर्णन V V Vdor

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