________________
शुभ संदेश
श्री कुन्दन ऋषि मंत्री एवं सलाहकार
यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता अर्थात जहाँ नारी का सम्मान होता है वहां देवता भी रमण करते है, इस काव्य से नारी की गौरव गरिमा की जानकारी होती है। नारी ने समय पर पुरुष को उभारा है, सम्बल दिया है और संमार्ग पर लाया है उसका बहुत बड़ा उपकार है फिर भी नारी ने दिल खोलकर पुरष प्रधान संस्कृति को स्वीकार किया हैं।
अन्तर्राष्ट्रीय सन्त तुलसी की पत्नी ने यदि समय-समय पर शब्दों की चोंट नहीं की होती तो वे विषय लम्पट ही बने रहते। रथनेमीजी जो राजीमती को देखकर संयम मार्ग से विचलित हुए थे, उन्हें राजमति ने धिरव्यु ते जसो कामी, वन्त इच्छसी आवेरु, सेयं ते मरण भवें इन तीन वाक्यों से उका जीवन बदल दिया था। जिस तरह मदोन्मत्त हाथी अंकुश से वश में होता है उसी तरह वाणी के अंकुश से रथ मी संयम से में स्थिर हो गए।
याकिनी महत्तरा ने हरिभद्र की विद्वता के मद को गाल दिया था एवं महान सन्त बना दिया था। ऐसे अनेक उदाहरण हमारे सामने है। उसी उज्ज्वल नारी परम्परा को अक्षुण्ण रखनेवाली साध्वी रत्न श्री कानकंवरजी एवं चम्पाकंवरजी थी।
महासतीजी का जन्म राजस्थान में हुआ, श्री जयमलजी म. की सम्प्रदाय में दीक्षित होकर वर्षो तक राजस्थान की जनता को जगाते रहे। मध्यप्रदेश आन्ध्रा, कर्नाटका क्षेत्रों को स्पर्शते हुए मद्रास पहुंचे एवं जनजागरण कर अनेक लोगों को प्रतिबोधित किया, अपने मधुर व्यवहार निस्पृहता एवं मधुरवाणी से धर्म का प्रचार प्रसार किया।
कार्य
अंतिम समय में शुद्ध भावना द्वारा नश्वर शरीर को छोड़ा, नश्वर शरीर द्वारा जो आत्मोन्नति के है वे उनके नाम को चिरस्थाई बनाने वाले होंगे। इस स्मृति ग्रंथ द्वारा उनके जीवन चरित्र से अनेक भव्य आत्माओं को प्रेरणा बनी रहें। यही शुभकामना ।
हुए
Jain Education International
*****
कमी हो गई
यह समाचार जानकर अत्यंत खेद हुआ कि आपकी गुरुणी जी सरलमना व्योवृद्धा महासती जी श्री कानकुवंरजी म.सा. का स्वर्गवास हो गया। यह आप सती वर्ग के लिए दुख का विषय है ही पर श्रावक-श्राविका के लिए भी कम दुःख की बात नहीं, ऐसे शान्त स्वभावी सतीजी की कमी पूरे संघ में अखर रही है पर क्रूर काल के आगे किसी का भी जोर नहीं, ऐसे सतीजी भाग्यशाली थे जिन्होंने लम्बे समय तक संयम साधना करते हुए समाज की सेवा की है। अन्तिम समय में उनके भाव उज्ज्वल रहे हैं। आप जैसे सती वर्ग को तैयार किया है, अब आप सभी की जिम्मेदारी बढ़ गई हैं।
(६)
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org