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ज्योति से ज्योति प्रज्वलित हो
उपाध्याय श्री विशाल मुनि, मद्रास यह जानकर हार्दिक प्रसन्नता हुई कि महान साध्वी महसती श्री कानकुवंरजी म.सा. एवं पूजनीया महासती श्री चम्पाकुवंर श्री म.सा. की चिर स्मृति के लिये एक स्मृति ग्रंथ प्रकाशित किाय जा रहा हैं। जिन महापुरुषों का हम पर उपकार है, उनके प्रति सतत श्रद्धाशील रहना महान आत्माओं का स्वभाव होता है। जिन्होंने अपने जीवन में सतत् परोपकार किया है, समाज या देश की सेवा की है, उनका जीवन मरणोपरांत श्रद्धालुओं के मन प्रांत में जीवित ही रहता है। उनके प्रति सद्भावना, श्रद्धा निरंतर उत्तरोत्तर बढ़ती रहती है। उस श्रद्धातिरेक का परिणाम होता है स्तवन, श्रद्धासुमन स्मरण गुण तथा जीवन विवरण चरित्र लेखन तथा स्मृति ग्रंथ प्रकाशन।
महान आत्माएं सदैव ऐसे कार्य करते रहते है जो समाप्त होने पर भी आदर्श एवं अनुकरणीय होते है। उन कार्यों की पुनरावृति परिवार समाज देश राज्य के लिए सुखद होती है। उन कार्यों से ही आनेवाली जनता के मन में संस्कारों की श्रृंखला पैदा होती है। अनेक विचार विवेकशील आत्मायें महापुरुषों के जीवन दर्शन का अध्ययन कर अपने जीवन का परिनिर्माण करने में सक्षम हो जाते है। इसी को संस्कृति एवं साहित्य का वैभव कहा जाता है। इसी श्रृंखला में आर्या श्री चन्द्रप्रभाजी का एक प्रयत्न है। महासती श्री कानकुवंरजी म.सा. एवं महासती श्री चम्पाकुवंरजी म.सा. की स्मृति में स्मृति ग्रंथ का प्रकाशन।
महानगर मद्रास में चातुर्मास कल्प प्रवास एवं शेष काल प्रवास के दौरान ओजस्वी व्याख्यात्री महासती द्वय के दर्शनों का लाभ प्राप्त हुआ। उनका जीवन एवं जीवन चर्या साधुतः साधना के सौरभ से सुरभित थी। साध्वी परिवार की सुव्यवस्था में आपका जीवन बहुत ही अनुकरणीय लगा। आप में सुयोग्य प्रशासनिक क्षमता थी। जिस प्रकार आपका स्नेह-वात्सल्य था उसके साथ-साथ आपका प्रभाव एवं रोब भी था। आप स्वयं सेवा स्वाध्याय तथा अन्यान्य आध्यात्मिक कार्य कलाओं में लगी रहती थी, परिणामस्वरूप आपका शिष्यावर्ग स्वाभाविक रूप से उस ओर संलग्न रहने की कोशिश में लगा रहता था। आप सुन सुव्यवस्थित, व्यावहारिक, प्रेरणादायी जीवन चर्या के पक्षधर थे। आपके मन में समाज की समुन्नति की चिंता भी रहती थी। यही कारण है कि समय-समय पर श्रावक-श्राविकाओं को सत्कार्यों की प्रेरणा एवं अनेक विद्या कार्यक्रम प्रदान करते रहते थे।
महासती द्वय अपने पीछे एक सुयोग्य शिष्या परिवार छोड़ गए हैं। उनका शिष्या परिवार उनके जीवन आदर्श को अपना पथ बनाकर आगे बढ़े, साथ ही उनके जीवन में वह शक्ति प्राप्त हो जिसमें महासती गुरुणी जी म.सा. के स्वप्नों को उनकी कार्य विधियों को जो भी वे अधूरा छोड़ गई हैं या जो कुछ उनके मन में समाज सेवा तथा साधना का भाव उसे पूरा कर सकें।
उनका आदर्श जीवन सबके लिये प्रेरणादायी हैं। उस ज्ञान ज्योति से ज्योति प्रज्वलित होती जाये, जिन शासन की महिमा बढ़े।
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