________________ PRESEARTIES जीव विचार प्रकरण ARTISTRICTS विशेष विवेचन इस गाथा में अग्निकायिक जीवों के भेदों का विवेचन किया गया है - अंगार - कोयले आदि की आग / ज्वाला - लकडी, गैस आदि में उठती हुई आग की लपटें। मुर्मर - कंडे या भरसाय की राख में रहने वाले अग्निकण / उल्कापात - आकाश से गिरने वाली उल्काएँ। अशनि - आकाश से गिरने वाली चिंगारियाँ / कणग - आकाश से गिरने वाले तारों के समान अग्निकण / विद्युत् - आकाश में चमकने वाली बिजली / इसके अलावा सूर्यकान्त मणि आदि से एवं दावानल, (बांस आदि के आपस में घिसने से उत्पन्न होने वाली अग्नि) एवं वडवानल (समुद्र में लगने वाली आग) इत्यादि अनेक अग्निकायिक जीवों के भेद होते हैं। वायुकायिक जीवों के भेद गाथा उब्भामग उक्कलिया मंडली-मह-सुद्ध-गुंजवाया य / घण तणु वायाइया भेया खलु वाउकायस्स // 7 // अन्वय उब्भामग- उक्कलिया मंडली-मह-सुद्ध-गुंजवाया य घण-तणु-वायाइया खलु वाउकायस्स भेया // 7 // संस्कृत छाया उद्भ्रामक - उत्कलिको मंडलि महा-शुद्ध-गुंज-वाताश्च / घनवात - तनुवातादिका भेदाः खलु वायुकायस्य // 7 // शब्दार्थ उन्भामग - उद्भ्रामक / उक्कलिया - उत्कलिका