________________ HIRE जीव विचार प्रकरण ARREARRIER देवों की अवगहना गाथा ईसाणंत सुराणं रयणीयो सत्त हुंति उच्चत्तं / दुग-दुग-दुग-चउ-गेविज्जणुत्तरेक्किक्क परिहाणी // 33 // अन्वय ईसाणंत सुराणं उच्चत्तं सत्त रयणीयो हुति दुग-दुग-दुग-चउ गेविज्जणुत्तरेक्किक्क परिहाणी॥३३॥ संस्कृत छाया ईशानन्तसुराणां रत्नयः सप्त भवन्त्युच्चत्वम् / द्विक द्विक द्विक चतुष्क अवेयकानुत्तरेष्वेकैकपरिहानिः // 33 // . शब्दार्थ ईसाणंत - ईशान देवलोक तक के सुराणं - देवताओं की रयणीयो - हाथ की सत्त - सात हुंति - होती हैं उच्चत्तं - ऊँचाई (अवगाहना) दुग - दो . दुग - दो दुग - दो . चउ - चार गेविज - ग्रैवेयक में अनुत्तरे - अनुत्तर में इक्किक्क - एक-एक . परिहाणी - कम, न्यून भावार्थ दूसरे ईशान देवलोक तक के देवताओं की अवगाहना सात हाथ की होती है / दो, दो, दो, चार, ग्रैवेयक और अनुत्तर (देव) की ऊँचाई एकएक हाथ कम है // 33 //