________________ HERERSEASON जीव विचार प्रश्नोत्तरी SSRRITATERISTS संज्ञी के 79 भेदों में तीसरा गुणठाणा हो सकता है। 5) अकर्मभूमिज एवं अन्तीपज मनुष्यों के तीसरा गुणठाणा नहीं होता है। कर्मभूमिज मनुष्यों के गर्भज पर्याप्ता के 15 भेदों मे तीसरा गुणठाणा हो सकता है। कुल- 5 तिर्यंच + 7 नारकी + 79 देव +15 मनुष्य, इन 106 भेदों में तीसरा गुणठाणा हो सकता है। 614) जीव के 563 भेदों में से कितने भेद चौथे गुणठाणे में पाये जाते हैं ? उ. अधिकारी . .. भेद 1) सात नरक के चौदह भेदों में से सातवीं नरक के अपर्याप्ता भेद को छोडकर 2) पंचेन्द्रिय गर्भज तिर्यंच - 3) कर्मभूमिज एवं अकर्मभूमिज पर्याप्ता एवं अपर्याप्ता मनुष्य 4) देव (पर्याप्ता+अपर्याप्ता) . . कुल 275 * संमूर्छिम मनुष्य, एकेन्द्रिय, विकलेन्द्रिय, सातवीं नरक के अपर्याप्ता नारकी चौथे गुणठाणे में नहीं होते हैं। * परमाधामी मिथ्यात्वी ही होते हैं। * जीव किल्बिषिक देवलोक में सम्यक्त्व लेकर नहीं जा सकता हैं। * अकर्मभूमिज मनुष्यों में पहला एवं चौथा गुणठाणा होता है और अन्तीपज मनुष्य - मिथ्यात्वी ही होते हैं। . 615) जीव के 563 भेवों में से कितने भेदों में पांचवां गुणठाणा पाया जाता उ. नियम-व्रत धारण करने वाले ही जीव पांचवें गुणठाणे में होते हैं। पंचेन्द्रिय तिर्यंच और मनुष्य ही नियम धारण कर सकते हैं। पंचेन्द्रिय तिर्यंच में गर्भज पर्याप्ता पंचेन्द्रिय रूप पांच भेदों में ही पांचवां गुणठाणा हो सकता हैं।