Book Title: Jeev Vichar Prakaran
Author(s): Manitprabhsagar
Publisher: Manitprabhsagar

Previous | Next

Page 297
________________ SHRESTERTAIT जीव विचार प्रश्नोत्तरी SHREE उत्पन्न होते हैं, उसे तेजो लेश्या कहते है / 790) पद्म लेश्या किसे कहते है ? उ. शुद्ध कर्म पुद्गलों के कारण आत्मा में जो सरलता, सहिष्णुता, समता के परिणाम उत्पन्न होते हैं, उसे पद्मलेश्या कहते है / 791) शुक्ल लेश्या किसे कहते है ? उ. अति विशुद्ध कर्म पुद्गलों के कारण जो आत्मा में कषाय मंदता (क्षय-उपशम) धर्मध्यान एवं आत्मचिन्तन के परिणाम उत्पन्न होते हैं, उसे शुक्ल लेश्या कहते है / 792) जीव कितने प्रकार के होते हैं? . उ. (1) भव्य (2) अभव्य (3) जाति भव्य / 793) भव्य जीव किसे कहते है ? उ. जिन जीवों में मोक्ष पाने की योग्यता है, वे जीव जो कभी न कभी सिद्धत्व को ___ अवश्यमेव प्राप्त करेंगे, भव्य जीव कहलाते हैं। 794) अभव्य जीव किसे कहते है ? उ. वे जीव जो अनन्त काल तक संसार में ही भूमण करते रहेंगे, मोक्ष में जाने की अयोग्यता वाले जीव अभव्य कहलाते हैं। 795) जातिभव्य जीव किसे कहते है ? उ. वे जीव, जो भव्य तो हैं परन्तु अनंतकाल तक अव्यवहार से व्यवहार राशि में नहीं आयेंगे और जिसे कभी भी धर्म आराधना के साधन रुप जिनागम, जिनवाणी, जिनप्रतिमा प्राप्त नही होने से कभी भी मोक्ष में नहीं जायेंगे, उन्हें जाति भव्य जीव कहते हैं। 796) भव्य जीव कितने प्रकार के होते हैं? उ. तीन प्रकार के (1) आसन्न भव्य (2) मध्यम भव्य (3) दुर्भव्य 797) आसन्न भव्य जीव किसे कहते है ? उ. वह जीव जो एकाध भव में ही मोक्ष प्राप्त करेगा, उसे आसन्न भव्य जीव कहते है / 798) मध्यम भव्य जीव किसे कहते है ?

Loading...

Page Navigation
1 ... 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310