Book Title: Jeev Vichar Prakaran
Author(s): Manitprabhsagar
Publisher: Manitprabhsagar

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Page 295
________________ - HERE जीव विचार प्रश्नोत्तरी NHREERESTHA गति कहते है। 773) नरक गति किसे कहते है ? उ. नरक गति नाम कर्म के उदय से जीव को जिस पर्याय की प्राप्ति होती है, उसे नरक गति कहते है / 774) वेव किसे कहते है ? उ. काम-भोग की इच्छा को वेद कहते है। 775) पुरुष वेद किसे कहते है ? उ. नाम कर्म के उदय से पुरुष रुप शरीराकृति को पाना द्रव्यं पुरुष वेद कहलाता है एवं मोहनीय कर्म के उदय से स्त्री के साथ भोग सुख की अभिलाषा करना भाव पुरुष वेद कहलाता है। 776) स्त्री वेद किसे कहते है ? उ. नाम कर्म के उदय से स्त्री रुप शरीराकृति को पाना द्रव्य स्त्री वेद कहलाता है / पुरुष के साथ भोग सुख की अभिलाषा करना भाव स्त्री वेद कहलाता है। 777) नपुंसक वेद किसे कहते है ? उ. नाम कर्म के उदय से पुरुष-स्त्री के लक्षणों से युक्त शरीराकृति को पाना नपुंसक वेद कहलाता है / पुरुष और स्त्री दोनों के साथ भोग सुख पाने की अभिलाषा करना भाव नपुंसक वेद कहलाता है। 778) कषाय किसे कहते है ? उ. (1) कष - संसार, आय - लाभ / जिससे जीव के संसार की वृद्धि होती है, उसे कषाय कहते है। (2) जीवात्मा के शुद्ध ज्ञान रुप-स्वरुप को कलुषित और विकृत करें, उसे कषाय कहते है। 779) कषाय कितने प्रकार के होते हैं ? उ. (1) क्रोध (2) मान (3) माया) (4) लोभ / . 780) क्रोध कषाय किसे कहते है ? उ. इष्ट वस्तु-व्यक्ति के वियोग में एवं अनिष्ट वस्तु-व्यक्ति के संयोग में मोहनीय कर्म के उदय से रोष और आक्रोश रुप आत्मा का परिणाम कोध कषाय कहलाता है /

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