Book Title: Jeev Vichar Prakaran
Author(s): Manitprabhsagar
Publisher: Manitprabhsagar

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Page 304
________________ SHARERAEIRRIG जीव विचार प्रश्नोत्तरी TRENDRA 844) तैजस शरीर किसे कहते है ? उ. तैजस जाति के उष्ण पुद्गलों से निर्मित शरीर को तैजस शरीर कहते है। 845) कार्मण शरीर किसे कहते है ? उ. राग-द्वेष की प्रवृत्तियों के परिणाम स्वरूप आत्मा से संयुक्त कार्मण परमाणुओं के पिण्ड को कार्मण शरीर कहते है / 846) संज्ञा किसे कहते है ? उ. चेतना (जीव) की इच्छा-अभिलाषा जिसके द्वारा जानी जाती है, उसे संज्ञा कहते है। 847) संज्ञा कितने प्रकार होती हैं ? उ. 4 प्रकार की, 6 प्रकार की, 10 प्रकार की एवं 16 प्रकार की संज्ञाएँ कही गयी है ? 848) चार प्रकार की संज्ञा कौन-कौनसी हैं ? उ. (1) आहार संज्ञा (2) भय संज्ञा (3) मैथुन संज्ञा (4) परिग्रह संज्ञा / 849) छह प्रकार की संज्ञा कौन-कौनसी हैं? उ. उपरोक्त चार संज्ञाओं में ओघ और लोक संज्ञा मिलाने पर छह प्रकार की संज्ञा होती / 850) वस प्रकार की संज्ञा कौन-कौनसी हैं ? उ. उपरोक्त छह संज्ञाओं के साथ क्रोध, मान, माया, एवं लोभ ये चार संज्ञाएँ गिनने पर दस संज्ञाएँ होती हैं। 851) सोलह प्रकार की कौन-कौनसी संज्ञाएँ होती हैं ? उ. उपरोक्त दस संज्ञाओं के साथ मोह, धर्म, सुख, दुःख, जुगुप्सा और शोक संज्ञा गिनने पर सोलह संज्ञा होती हैं। 852) आहार संज्ञा किसे कहते है ? उ. वेदनीय कर्म के उदय से आहार ग्रहण की अभिलाषारुप चेष्टा को आहार संज्ञा कहते 853) भय संज्ञा किसे कहते है ? उ. मोहनीय कर्म के उदय प्रकट भय रुप चेष्टा को भय संज्ञा कहते है /

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