Book Title: Jeev Vichar Prakaran
Author(s): Manitprabhsagar
Publisher: Manitprabhsagar

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Page 306
________________ IR जीव विचार प्रश्नोत्तरी RATHORE 864) सुख संज्ञा किसे कहते है ? उ. शाता और सुख के अनुभव को सुख संज्ञा कहते है / 865) दुःख संज्ञा किसे कहते है ? उ. अशाता और दुःख के अनुभव को दुःख संज्ञा कहते है / 866) जुगुप्सा संज्ञा किसे कहते है ? उ. चित्त में स्थित उठे घृणा के भावों को जुगुप्सा संज्ञा कहते है / 867) शोक संज्ञा किसे कहते है ? उ. चित्त में स्थित खेद, बेचैनी, चिन्ता के भावों को शोक संज्ञा कहते है / 868) उपपात किसे कहते है ? उ. उत्पन्न (जन्म) होने को उपपात कहते है / 869) च्यवन किसे कहते है ? उ. मृत्यु प्राप्त करने को च्यवन कहते है / 870) उपपात विरह किसे कहते है ? उ. एक गति में एक जीव के जन्म लेने से दूसरे जीव के जन्म लेने के बीच जितना काल व्यतीत होता है, उसे उपपात विरहकाल कहते है / 871) च्यवन विरह किसे कहते है ? उ. एक गति में एक जीव की मृत्यु के कितने समय पश्चात् दूसरा जीव मृत्यु को प्राप्त करता है, उसे च्यवन विरहकाल कहते है / 872) सोपक्रमी आयुष्य किसे कहते है ? उ. वह आयुष्य जो किसी दुर्घटना या आघात से बीच में ही टूट सकता है, उसे सोसक्रमी आयुष्य कहते है। 873) निरुपक्रमी आयुष्य किसे कहते है ? उ. वह आयुष्य जो किसी भी उपकूम या दुर्घटना के द्वारा बीच में टूटता नहीं है, उसे निरुपक्रमी आयुष्य कहते है /

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