Book Title: Jeev Vichar Prakaran
Author(s): Manitprabhsagar
Publisher: Manitprabhsagar

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Page 299
________________ SRORSCONTRY जीव विचार प्रश्नोत्तरी STRESS 806) मिथ्यावृष्टि किसे कहते है ? उ. मिथ्यात्व मोहनीय के उदय से जब जीव को कुदेव-कुगुरु-कुधर्म में श्रद्धा होती है, ___ उसे मिथ्यादृष्टि कहते है। 807) संज्ञी किसे कहते है ? उ. जिस जीव में सोचने-विचार करने के लिये मनोबल प्राण होता है, वह संज्ञी कहलाता 808) असंज्ञी किसे कहते है ? उ. जिस जीव में सोचने-विचार करने के लिये मनोबल प्राण नहीं होता है, वह असंज्ञी कहलाता है। 809) हेतुवादोपदेशिकी संज्ञा किसे कहते है ? उ. मात्र वर्तमान काल का विचार करने की शक्ति को हेतुवादोपदेशिकी संज्ञा कहते है / 810) दीर्घकालिकी संज्ञा किसे कहते है ? उ. तीनों काल का विचार करने की शक्ति को दीर्घकालिकी संज्ञा कहते है। 811) वृष्टिवादोपदेशिकी संज्ञा किसे कहते है ? उ. सम्यक्दृष्टि जीव की विचार-शक्ति को दृष्टिवादोपदेशिकी संज्ञा कहते है। 812) आहार किसे कहते है ? उ. जिससे जीव अपनी क्षुधा को शान्त करता है, उसे आहार कहते है / 813) आहार के कितने प्रकार होते हैं ? उ. तीन प्रकार के - (1) ओजाहार (2) लोमाहार (3) कवलाहार 814) ओजाहार किसे कहते है ? उ. उत्पत्ति के प्रथम समय से जब तक शरीर पर्याप्ति पूर्ण न हो तब तक जीव शुक्र शोणित आदि औदारिक पुद्गलों को आहार करता है, उसे ओजाहार कहते है / 815) लोमाहार किसे कहते है ? उ. शरीर पर्याप्ति पूर्ण होने के बाद स्पर्शनेन्द्रिय (त्वचा) के द्वारा लिया जाने वाला आहार लोमाहार कहलाता है।

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