Book Title: Jeev Vichar Prakaran
Author(s): Manitprabhsagar
Publisher: Manitprabhsagar

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Page 300
________________ 88888888 जीव विचार प्रश्नोत्तरी 0888 816) कवलाहार किसे कहते है ? उ. मुख से किया जाने वाला अन्न, फल आदि चार प्रकार का आहार कवलाहार कहलाता है / 817) समुद्घात किसे कहते है ? उ. जबरदस्ती एक साथ आत्म प्रदेशों को शरीर से बाहर निकालकर कर्मों की उदीररणा करके नाश करने का विशिष्ट प्रयत्न समुद्घात कहलाता है / 818) समुद्घात कितने प्रकार के होते हैं ? उ. सात प्रकार के (1) वेदना (2) कषाय (3) मरण (4) वैक्रिय (5) तैजस (६)आहारक (7) केवली। 819) वेदना समुद्घात किसे कहते है? उ. अत्यधिक वेदना के क्षणों में जीव आत्म प्रदेशों को शरीर से बाहर निकालकर विशेष रुप से अशाता वेदनीय कर्म के पुद्गलों को नष्ट करता है, उसे वेदना समुद्घात कहते 820) कषाय समुद्घात किसे कहते है ? उ. क्रोध, मान, माया, लोभ आदि कषायों का तीव्र उदय होने से जीव द्वारा आत्म प्रदेशों को शरीर से बाहर निकालकर कषाय रूप मोहनीय कर्म के पुद्गलों की निर्जरा करना कषाय समुद्घात कहलाता है / 821) मरण समुद्यात किसे कहते है ? उ. मृत्यु होने से अन्तर्मुहूर्त पूर्व जीव स्वयं के आत्म प्रदेशों को जहाँ उत्पन्न होना है, वहाँ तक फैलाते हुए कर्म पुद्गलों की निर्जरा करना मरण समुद्घात कहलाता है / 822) वैक्रिय समुद्घात किसे कहते है ? उ. वैक्रिय लब्धि वाले जीव द्वारा छोटा-बड़ा शरीर बनाने के लिये आत्म प्रदेशों को __ शरीर से बाहर निकालते हुए कर्मों की निर्जरा करना वैक्रिय समुद्घात कहलाता है / 823) आहारक समुद्यात किसे कहते है ? उ. आहारक लब्धि वाले चौदह पूर्वधारी मुनिवर अरिहंत परमात्मा से समाधान आदि - की इच्छा से निर्बाध गति वाला एक हाथ अवगाहना वाला शरीर निर्मित करते हैं, उस

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