Book Title: Jeev Vichar Prakaran
Author(s): Manitprabhsagar
Publisher: Manitprabhsagar

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Page 293
________________ SHARA जीव विचार प्रश्नोत्तरी RTHEASTER कहते है। 758) केवलज्ञानोपयोग किसे कहते है ? उ. त्रिकाल एवं त्रिलोक में स्थित समस्त द्रव्य एवं उनकी समस्त पर्यायों में स्थित विशेष धर्म को एक साथ बताने वाली आत्मिक शक्ति के व्यापार को केवलज्ञानोपयोग कहते है। 759) मतिअज्ञानोपयोग किसे कहते है ? उ. मन और इन्द्रियों से वस्तु में स्थित विशेष धर्म को बताने वाली सम्यक्त्व रहित आत्मिक शक्ति के व्यापार को मतिअज्ञानोपयोग कहते है। . 760) श्रुतअज्ञानोपयोग किसे कहते है ? उ. शास्त्र, ग्रंथादि के श्रवण अथवा वांचन से शब्द के साथ अर्थ का ज्ञान कराने वाली . सम्यक्त्व रहित आत्मिक शक्ति के व्यापार को श्रुतअज्ञानोपयोग कहते है। .. 761) अवधि अज्ञानोपयोग किसे कहते है ? उ. मन और इन्द्रियों की सहायता के बिना मात्र रुपी द्रव्यों में स्थित विशेष धर्म को बताने वाली सम्यक्त्व रहित आत्मिक शक्ति के व्यापार को अवधिअज्ञानोपयोग कहते है / इसे विभंगज्ञान भी कहते है। 762) भवप्रत्ययिक अवधिज्ञान किसे कहते है ? . उ. जन्म से ही प्राप्त होने वाला अवधिज्ञान भवप्रत्ययिक अवधिज्ञान कहलाता है / देवता एवं नारकी का अवधिज्ञान भवप्रत्ययिक कहलाता है। 763) गुणप्रत्ययिक अवधिज्ञान किसे कहते है ? उ. वह अवधिज्ञान जो विशिष्ट साधना, जप, तप के परिणामस्वरुप प्राप्त होता है, उसे गुणप्रत्यायिक अवधिज्ञान कहते है / मनुष्य एवं तिर्यंचों का अवधिज्ञान गुणप्रत्ययिक कहलाता है। 764) चक्षु दर्शनोपयोग किसे कहते है ? उ. चक्षु (आँख) की सहायता से वस्तु में स्थित सामान्य धर्म को बताने वाली आत्मिक __ शक्ति के व्यापार को चक्षुदर्शनोपयोग कहते है /

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