Book Title: Jeev Vichar Prakaran
Author(s): Manitprabhsagar
Publisher: Manitprabhsagar

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Page 292
________________ 888888888887 जीव विचार प्रश्नोत्तरी 0 888 और भाषा रुप में छोडता है, उसे भाषा पर्याप्ति कहते है / 749) मन पर्याप्ति किसे कहते है ? उ. जिस शक्ति से जीव मन योग्य पुद्गलों को ग्रहण करके मन रुप में परिणत करता है और सोचता है, उसे मन पर्याप्ति कहते है। . 750) मन योग किसे कहते है ? उ. शुभ अथवा अशुभ विचार करने की प्रवृत्ति को मनोयोग कहते है। 751) वचन योग किसे कहते है? उ. शुभ अथवा अशुभ वाणी के प्रयोग को वचन योग कहते है / 752) काय योग किसे कहते है ? उ. शुभ अथवा अशुभ शारीरिक प्रवृत्ति को काय योग कहते है / 753) उपयोग किसे कहते है ? उ. वस्तु में स्थित सामान्य अथवा विशेष धर्म को बताने वाली आत्मिक शक्ति के व्यापार __ को उपयोग कहते है / उपयोग बारह प्रकार के होते हैं। 754) मतिज्ञानोपयोग किसे कहते है ? उ. मन और इन्द्रियों की सहायता से वस्तु में स्थित विशेष धर्म को बताने वाली आत्मिक * शक्ति के व्यापार को मतिज्ञानोपयोग कहते है। 755) श्रुतज्ञानोपयोग किसे कहते है ? उ. शास्त्र, ग्रंथादि के श्रवण अथवा वांचन के शब्द में छिपे अर्थ का अवबोध (ज्ञान) कराने वाली आत्मिक शक्ति के व्यापार को श्रुतज्ञानोपयोग कहते है ? 756) अवधिज्ञानोपयोग किसे कहते है ? किस कहतह? उ. मन और इन्द्रियों की सहायता के बिना मात्र रुपी द्रव्यों में स्थित विशेष धर्म को बताने -- वाली आत्मिक शक्ति के व्यापार को अवधिज्ञानोपयोग कहते है / 757) मनःपर्यवज्ञानोपयोग किसे कहते है? उ. मन और इन्द्रियों की सहायता के बिना अढी द्वीप में स्थित संज्ञी पंचेन्द्रिय जीवों के _मन के विचारों को बताने वाली आत्मिक शक्ति के व्यापार को मनःपर्यवज्ञानोपयोग -

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