Book Title: Jeev Vichar Prakaran
Author(s): Manitprabhsagar
Publisher: Manitprabhsagar

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Page 291
________________ SPORTERTAINE जीव विचार प्रश्नोत्तरी NARENTINER उ. 1) गति का अभाव 2) धर्मास्तिकाय का अभाव 3) लोकान्त में स्निग्ध पुद्गलों का अभाव 4) लोक की स्वाभाविक मर्यादा / 742) जीवात्माओं को अल्प बहुत्व की अपेक्षा से बताओ? उ. इस विश्व में 1) सबसे कम मनुष्य हैं। 2) नैरयिक उनसे अंख्यातगुणा हैं। 3) देव उनसे __ असंख्यातगुणा हैं / 4) सिद्ध उनसे अनन्तगुणा हैं। 5) तिर्यंच उनसे अनन्तगुणा हैं। परिभाषा खण्ड 743) पर्याप्ति किसे कहते है ? उ. पुद्गल के समूह से आत्मा में प्रकट होने वाली शक्ति को पर्याप्ति कहते है / इसके छह प्रकार हैं - 1) आहार 2) शरीर 3) इन्द्रिय 4) श्वासोच्छ्वास 5) भाषा 6) मन / 744) आहार पर्याप्ति किसे कहते है ? उ. जिस शक्ति से जीव आहार ग्रहण करके उसे आहार और रस में परिणत करता है, उसे आहार पर्याप्ति कहते है। 745) शरीर पर्याप्ति किसे कहते है ? उ. जिस शक्ति से जीव रस रुप परिणत आहार को रस, रक्त, मांस, चर्बी, अस्थि, मजा और वीर्य रुप सप्तधातु में रुपान्तरित करता है उसे शरीर पर्याप्ति कहते है / 746) इन्द्रिय पर्याप्ति किसे कहते है ? उ. जिस शक्ति से जीव शरीर रुप परिणत पुद्गलों को त्वचा, जीभ, नाक, आँख और कान रूप पाँच में इन्द्रियों में रुपान्तरित करता है, उसे इन्द्रिय पर्याप्ति कहते है / 747) श्वासोच्छवास पर्याप्ति किसे कहते है ? उ. जिस शक्ति से जीव श्वासोच्छ्वास योग्य पुद्गलों को ग्रहण करके श्वासोच्छ्वास में परिणत करता है और छोडता है, उसे श्वासोच्छ्वास पर्याप्ति कहते है / 748) भाषा पर्याप्ति किसे कहते है ? उ. जिस शक्ति से जीव भाषा योग्य पुद्गलों को ग्रहण करके भाषा में परिणत करता है -

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