________________ SSESSISTASTE जीव विचार प्रश्नोत्तरी 5) दुषम- अवसर्पिणी के दुषम नामक पांचवें आरे में दुःख बहुत होता है अत: इस दुषम आरा कहते है। इसका काल इक्कीस हजार वर्षों का होता है / अन्तिम संघयण, अन्तिम संस्थान होता है ! उत्कृष्ट अवगाहना सात हाथ की होती है / जघन्य आयु अन्तर्मुहूर्त की और उत्कृष्ट आयु साधिक सौ वर्ष की होती है। जीव स्वकर्मानुसार चारों गातियों में जाते हैं। चौथे आरे में उत्पन्न जीव मोक्ष प्राप्त कर सकता है पर पांचवें आरे में उत्पन्न जीव मोक्ष प्राप्त नहीं कर सकता है / इस आरे के अन्तिम दिन का तीसरा भाग बीतने पर जाति, धर्म, व्यवहार आदि का लोप (विच्छेद) हो जाता है। 6) दुषम दुषम- इक्कीस हजार वर्ष का यह छट्ठा आरा अत्यन्त दुःखमय होता है। प्राणी अतिशय दुःखी होते हैं। भयंकर आंधियां, संवर्तक वायु चलती है। आग, बिजली, विष, क्षार की बरसात होती है। इससे वनस्पतियों का विनाश हो जाता है। नदियों में गंगा और सिंधु नदियां ही रहती हैं। नदियों में पानी रथ की धुरी प्रमाण जितना ही गहरा होता है। उसमें भी भयंकर जलचर प्राणी निवास करते हैं / सूर्य की किरणें अति तापयुक्त और चन्द्रमा की किरणे अतिशीतल होती है। भूमि तपे हुए तवे के समान और कीचड, धूल आदि से भरी हुई होती है। .. छट्टे आरे के मनुष्यों की अवगाहना एक हाथ की, पुरूषों का आयुष्य बीस वर्ष का एव स्त्रियों का सोलह वर्ष का होता है / सन्ताने अधिक होती हैं / वर्ण, गंध, रस, स्पर्श, संघयण, संस्थान, रूप आदि सब कुछ अशुभ होते हैं / शरीर व्याधियुक्त होता है। अत्यधिक राग-द्वेष-कषाय वाले प्राणी होते हैं। गंगा तथा सिंधु नदियों के किनारे स्थित 72 बिलों में मनुष्य रहते हैं। वे सूर्योदय एवं सूर्यास्त के समय मत्स्य आदि को पकडकर रेत में गाड देते हैं। सुबह के छिपाये मत्स्य शाम को, शाम को छिपाये मत्स्य सुबह में निकालकर खाते हैं। हिंसा से परिपूर्ण जीव मरकर प्रायः नरक और तिर्यंच योनि में उत्पन्न होते हैं। 689) उत्सर्पिणी के आरों की विशेषता बताओ ? उ. 1) दुषम दुषम- अवसर्पिणी के छठे आरे की भाँति यह आरा इक्कीस हजार वर्ष का होता है / अवसर्पिणी का छट्ठा आरा आषाढ शुक्ला पूर्णिमा को पूर्ण होता है और