Book Title: Jeev Vichar Prakaran
Author(s): Manitprabhsagar
Publisher: Manitprabhsagar

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Page 278
________________ SSETTERTISIT जीव विचार प्रश्नोत्तरी SISTARTER का होता है / माता पिता 79 दिनों तक युगलिक पुत्र-पुत्री का पालन-पोषण करते हैं। एक दिन के अन्तर में आंवले के प्रमाण में आहार करते हैं / इसके तीसरे भाग में छह संघयण और छह संस्थान होते हैं / अवगाहना एक हजार धनुष से कम होती है। जघन्य आयुष्य संख्यात वर्ष का और उत्कृष्ट आयुष्य असंख्यात वर्ष का होता है। इस आरे में प्रथम तीर्थंकर और प्रथम चक्रवर्ती होते हैं / जीव तीसरे भाग में स्वृकत कर्मों के अनुसार चारों गतियों में जाते हैं एवं कर्मक्षय कर मोक्ष में भी जाते हैं। 4) दुषम सुषम- चौथे आरे का काल बयालीस हजार वर्ष न्यून एक कोडाकोडी सागरोपम का होता है। दुःख ज्यादा और सुख कम होने से इसे दुषम सुषम आरा कहते है। इस आरे के मनुष्यों का जघन्य आयुष्य अन्तर्मुहूर्त का और उत्कृष्ट आयुष्य एक करोड पूर्व वर्षों का होता है / इस आरे में छह संघयण और छह संस्थान होते हैं। जीव स्वकृत कर्मों के परिणाम स्वरूप चारों गतियों में जाते हैं / समस्त कर्मों का क्षय कर सिद्धावस्था को भी उपलब्ध करते हैं / इस आरे में तेवीस तीर्थंकर परमात्मा, ग्यारह चक्रवर्ती, नौ बलदेव, नौ वासुदेव और नौ प्रतिवासुदेव होते हैं। अवसमिणी-कालचक्र ASSca e सलियोसलिग 128 Esamate REST माहार:३रसाद FASKOआहारादिलके बाद AMARRER पलिया पसलियां 6532 vandana इनके भाव आहार आयत / A चित्र: अवसर्पिणी ईसी प्रकार उत्सर्पिणी काल क्रममा मीपसे उपर 16 आरोको शिकसित ६सेसहो. काल

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