Book Title: Jeev Vichar Prakaran
Author(s): Manitprabhsagar
Publisher: Manitprabhsagar

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Page 285
________________ - - SITERACTERESजीव विचार प्रश्नोत्तरी SSSSSSSSSSS 709) सम्पूर्ण विश्व कितने राज प्रमाण है ? उ. चौदह राज प्रमाण। 710) एक राज कितने योजन प्रमाण का होता है ? उ. करोड को करोड से गुणा करने पर योग फल एक कोडा कोडी प्राप्त होता है। ऐसे असंख्यात कोडा कोडी योजन प्रमाण का एक राज (रज्जु) होता है। 711) चौदह राजलोक का आकार कैसा है ? उ. कमर पर हाथ रखकर और पाँव चौडे किये हुए मनुष्य जैसा आकार चौदह राजलोक का है। 712) सम्पूर्ण लोक को कितने भागों में बांटा जाता है ? उ. तीन भागों में - 1) उर्ध्व लोक- राजलोक के उपर के भाग में स्थित सात राज प्रमाण में से नौ सौ योजन कम प्रमाण वाला उर्ध्वलोक है। इसमें वैमानिक, नवलोकान्तिक, नवग्रैवेयक, अनुत्तर वैमानिक आदि देव निवास करते हैं। 2) मध्यलोक- यह अठारह सौ योजन प्रमाण का हैं जिसमें मनुष्य, व्यंतर, वाणव्यंतर आदि देव एवं तिर्यंच प्राणी निवास करते हैं। यह मध्य में है। 3) अधोलोक-चौदह राजलोक के नीचे के भाग में सात राज में से नौ सौ योजन कम प्रमाण में अधोलोक है। इसमें नारकी जीव, भवनपति-परमाधामी आदि देव रहते 713) लोक में कितने द्वीप, समुद्र, नदियाँ हैं ? उ. असंख्यात। 714) मध्य लोक में मध्य में क्या स्थित है ? उ. जम्बूद्वीप। 715) जम्बूद्वीप कितने योजन प्रमाण है ? उ. एक लाख योजन। 716) जम्बूद्वीप के मध्य में क्या स्थित है ? उ. मेरूपर्वत।

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