Book Title: Jeev Vichar Prakaran
Author(s): Manitprabhsagar
Publisher: Manitprabhsagar

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Page 282
________________ BRETRESETTESTHEN जीव विचार प्रश्नोत्तरी HERBETTERS महाविदेह क्षेत्र दुषम सुषम आरे जैसा भरत और ऐरावत क्षेत्र छहों आरे होते हैं। 691) अन्तर्वीपज युगलिक मरकर निश्चित् रूप से किस देवलोक जाते हैं ? उ. भवनपति निकाय और व्यंतर निकाय में। 692) अन्तर्वीपों की संक्षेप में व्याख्या कीजिये? उ. अन्तर्वीप छप्पन हैं जिसमे युगलिक मनुष्य निवास करते हैं। वे एकांतर आहार करते हैं। 79 दिवस तक संतान का पालन पोषण करते हैं। उनकी अवगाहना 800 धनुष की और आयु पल्योपम के असंख्यातवें भाग जितनी होती है। 693) कल्पवृक्ष किसे कहते है एवं उनके कितने भेद हैं ? उ. मन-इच्छित वस्तुओं, पदार्थों, साधनों की पूर्ति करने वाले वृक्षों को कल्पवृक्ष कहते है ! ये देवाधिष्ठित होते हैं। इनके दस भेद होते हैं जो निम्न हैं 1) गृहांग- रहने के लिये घर प्रदान करता है। 2) ज्योतिषांग- ज्योति प्रकाश प्रदान करता है। 3) भूषणांग- विविध प्रकार के आभूषण प्रदान करता है। 4) भोजनांग - विविध प्रकार की आहार सामग्री प्रदान करता है। 5) वस्त्रांग - विविध प्रकार के वस्त्र अर्पण करता है। 6) चित्ररसांग- विविध प्रकार के पेय पदार्थ प्रदान करता है। . 7) तूर्यांग- विविध प्रकार के वाजिंत्र प्रदान करता है। 8) कुसुमांग- विविध प्रकार के सुगंधित पदार्थ प्रदान करता है। 9). भाजनांग - विविध प्रकार के बर्तन प्रदान करता है। . 10) दीपांग- विविध प्रकार के दीपक प्रकट करता है। 694) हर अवसर्पिणी और उत्सर्पिणी में कितने महान् पुरूष होते हैं ? उ. 24 तीर्थंकर, 12 चक्रवर्ती, ९बलदेव, ९वासुदेव, ९एतिवासदेव, ये त्रेसठ महापुरूष हर अवसर्पिणी एवं उत्सर्पिणी में होते हैं। इन्हें त्रिषष्ठिशलाका पुरूष कहते हैं। इनकी संख्या न घटती हैं, न बढती हैं।

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