Book Title: Jeev Vichar Prakaran
Author(s): Manitprabhsagar
Publisher: Manitprabhsagar

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Page 271
________________ HREFERENESSETTE जीव विचार प्रश्नोत्तरी NISTERESTHA 642) सिद्धों की अवगाहना कितनी होती है ? उ. सिद्ध भगवंतों के शरीर नहीं होने से अवगाहना नहीं होती है परन्तु तीर्थंकर की अवगाहना उत्कृष्ट रूप से 333 धनुष्य और 32 अंगुल प्रमाण में और जघन्य अवगाहना 42/ हाथ प्रमाण होती है। सामान्य केवली की जघन्य अवगाहना 32 अंगुल प्रमाण की होती है / इस प्रकार जीवात्मा अपनी शारीरिक अवगाहना का एक तिहाई भाग छोडकर दो तिहाई भाग में सिद्धलोक में अवस्थित रहता है पर वह स्थान/अवगाहना निराबाध होती है। उस भाग में अन्य आत्माएँ भी स्थित होती हैं। . 643) सिद्धशिला कितने योजन परिमाण में है ? . उ. पैंतालीस लाख योजन। 644) अनुत्तर विमानों से कितने योजन उपर सिद्धशिला है ? उ. बारह योजन। 645) सिद्धशिला के बारह नाम कौनसे हैं ? उ. 1) ईषत् 2) ईषत्प्राग्भरा 3) तनुतन्विका 4) सिद्धि 5) सिद्धालय 6) मुक्ति 7) मुक्तालय 8) लोकाग्र 9) तन्वी 10) लोकस्तूपिका 11) लोकाग्र प्रतिवाहिनी 12) सर्वप्राणभूत सत्य सुखवहा। 646) सिद्ध शिला से कितने योजन उपर अलोक है? उ. एक योजन। 647) अगले भव में कौन-२ मोक्षगामी हो सकते हैं ? उ. 1) समस्त देव- मोक्ष (परमाधामी सिवाय) 2) मनुष्य- मोक्ष 3) पंचेन्द्रिय तिर्यंच - मोक्ष 4) नारकी- मोक्ष (सातवीं नरक सिवाय) 5) पृथ्वी-अप्-वनस्पति- मोक्ष 6) विकलेन्द्रिय- मोक्ष 7) वायुकाय-तेउकाय- मनुष्य भव नहीं (तिर्यंच गति में धर्मश्रवण)

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