________________ S EASEAN जीव विचार प्रश्नोत्तरी 09- DRIES उ. तीन प्रकार की - 1) क्षेत्र-स्वभावजन्य वेदना 2) परस्परजन्य वेदना 3) परमाधामीदेव जन्य वेदना। 250) क्षेत्र-स्वभावजन्य वेदना के स्वरूप को स्पष्ट कीजिये ? . उ. 1) नारकी जीव प्रतिपल खतरनाक सर्दी का अनुभव करते हैं। वहाँ इतनी ज्यादा शीतलता होती है कि उन नारकी जीवों को भयंकर शीत ऋतु में यदि हिमालय पर्वत की चोटी पर निर्वस्त्र लेटाया जाये तो भी वे आनंदपूर्वक सो जाये। . .. 2) नरक में असह्य उष्णता होती हैं। उन नारकी जीवों को यदि मनुष्य लोक में आग के धधकते अंगारों के मध्य रखा जाये तो भी वे आनंद और सुख का अनुभव करें और निद्राधीन हो जाये। 3) नारकी जीवों को प्रतिपल इतनी ज्यादा भूख सताती हैं कि संसार के सारा भोज्य पदार्थ उन्हें दिये जाये तो भी तृप्ति का अहसास न हो पर उनको खाने के लिए नरक में अन्न का एक दाना भी प्राप्त नहीं होता हैं। 4) नारकी जीवों को इतनी ज्यादा प्यास लगती है कि संसार का सारा जल अगर उन्हें पिलाया जाये तो भी शांति की अनुभूति न हो। वे हर वक्त प्यास के कारण तडफते हैं पर पीने के लिये पानी की एक बूंद भी नसीब नहीं होती हैं। 5) नारकी जीव हर समय शोक, संताप और दुःख का अनुभव करते हैं। 6) वे परमाधामी देवों की यातनाओं से प्रतिपल भयभीत रहते हैं। वहाँ उन्हें अभय देने वाला कोई नहीं होता है। 7) वे परमाधामी देवों के वश में ही रहते हैं। कभी वे भागकर छिप जाते हैं तो परमाधामी देव तुरन्त खोजकर उन्हें मरणान्तिक उपसर्ग देते हैं। 8) उन्हें इतनी तेज खुजली आती है कि छुरे की तीक्ष्ण धार से भी शांत नहीं हो / वहाँ खुजली मिटाने का कोई उपाय नहीं होता है। खुजलाने से खुजली उत्तरोत्तर बढती जाती है। 9) हर समय वे बुखार से पीडित रहते हैं / उनका शरीर अंगारे की भाँति दहकता रहता है। 10) नारकी जीवों के शरीर की दुर्गन्ध मृत गाय आदि के कलेवर से भी कई गुणा अधिक