________________ SHESHARE जीव विचार प्रश्नोत्तरी AREERSETTERBETAB 3) हुंडक संस्थान- संमूर्छिम मनुष्य-१०१, कर्मभूमिज गर्भज मनुष्य-३०, नारकी 14, तिर्यंच-४८ = 193 भेद * अन्तीपज एवं अकर्मभूमिज मनुष्यों में प्रथम संस्थान ही पाया जाता हैं। . * समूर्छिम एवं नारकी जीवों में मात्र हुंडक संस्थान ही पाया जाता है। 603) जीव के 563 भेदों में से औदारिक शरीर वाले कितने भेद होते हैं ? उ. जीव के 563 भेदों में से औदारिक शरीर वाले 351 भेद होते हैं, वह इस प्रकार है तिर्यंच के 48 भेद एवं मनुष्य के 303 भेद। 604) जीव के 563 भेदों में से कितने जीव वैक्रिय शरीरधारी हो सकते हैं ? उ. मनुष्य - पचेन्द्रिय पर्याप्ता संज्ञी कर्मभूमिज - .: 5 देव - अपर्याप्ता एवं पर्याप्ता 198 . तिर्यंच - पचेन्द्रिय पर्याप्ता संज्ञी नारकी अपर्याप्ता एवं पर्याप्ता वायुकाय - पर्याप्ता बादर कुल - 223 / 605) जीव के 563 भेदों में से आहारक शरीर वाले कितने भेद होते हैं ? उ. जीव के 563 भेदों में से 15 भेद आहारक शरीर वाले होते है / आहारक शरीर मनुष्यों में ही पाया जाता हैं। मनुष्यों में भी कर्मभूमिज मनुष्यों में ही पाया जाता है। कर्मभूमिज में भी गर्भज पर्याप्ता संयमी मनुष्यों में ही होने से 15 भेदों में ही आहारक शरीर पाया जाता हैं। 606) जीव के 563 भेदों में से कितने भेद तैजस और कार्मण शरीर वाले होते उ. तैजस और कार्मण शरीर अनादिकाल से जीव से जुड़े हुए हैं। समस्त कर्मों से मुक्त होने पर ही उनका वियोग होता है। संसारी जीवों के 563 भेद तैजस और कार्मण शरीर युक्त होते हैं।