________________ RSTARTISTS जीव विचार प्रश्नोत्तरी RETTERSNETRESS बाद केवल एक बार मनुष्य जन्म धारण करते हैं और उसी भव में मोक्ष जाते हैं। शेष चार अनुत्तर वैमानिक देव द्विचरमावर्ती होते हैं। अधिक से अधिक दो मनुष्य भव धारण करके मोक्ष में जाते हैं। इन चारों का क्रम इस प्रकार हैं, देवलोक से च्युत होकर मनुष्य जन्म, फिर अनुत्तर विमान में जन्म और मनुष्य जन्म धारण करके मोक्ष जाते 492) सर्वार्थसिद्ध विमान में कौनसी आत्माएँ जन्म लेती हैं ? ... उ. एक छ? तप यानि दो उपवास द्वारा उत्तम साधु जितने कर्मों का क्षय करता है, उतने. कर्मों का क्षय करना जिन मुनियों के शेष रह जाता है, ऐसी हलुकर्मी महान् आत्माएँ अनुत्तर सर्वार्थ सिद्ध विमान में उत्पन्न होती हैं। यहाँ उत्पन्न होने वाली वे साधु आत्माएँ होती हैं जिनका मनुष्य भव में यदि सात लव का आयुष्य अधिक होता तो उसी भव में समस्त कर्मों का क्षय करके मोक्ष प्राप्त कर लेती।शेष बचे शुभ कर्मों को भोगने के लिये सर्वार्थ सिद्ध विमान में उत्पन्न होती हैं। तैतीस सागरोपम का आयुष्य पूर्ण कर मनुष्य जन्म लेकर, समस्त कर्मों को खपाकर सिद्ध पद को प्राप्त कर लेती हैं। 493) किन देवों के अवश्यमेव परमावधि ज्ञान होता है ? उ. अनुत्तर वैमानिक। 494) चौसठ इन्द्र कौन-२ होते हैं? उ. भवनपति के प्रत्येक निकाय में उत्तर और दक्षिण दिशा में इस प्रकार दो-दो इन्द्र रहते हैं। इसी प्रकार व्यंतर-वाणव्यंतर निकाय के भी एक-२ निकाय के दो-२ इन्द्र होते हैं। ज्योतिष्क के मात्र सूर्य और चन्द्र, ये दो इन्द्र ही हैं / वैमानिक देवों में पहले से आठवें देवलोक तक का एक-२ इन्द्र होता है / नवमें-दसमें का एक और ग्यारहवेंबारहवें का एक इन्द्र होता है। इस प्रकार चौसठ इन्द्र परमात्मा का मेरूपर्वत जन्माभिषेक करते हैं। भवनपति निकाय के 20 व्यंतर निकाय के 16