________________ PRASTARTE जीव विचार प्रश्नोत्तरी BHAJASTE द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय, चतुरिन्द्रिय, नरक एवं देवलोक में उत्पन्न नहीं हो सकते हैं / ये 20 भेद पर्याप्ता एवं अपर्याप्ता की अपेक्षा से 40 होते हैं। 542) नवमें देवलोक से नवौवेयक एवं अनुत्तर विमान के देव कहाँ-२ उत्पन्न हो सकते हैं? उ. नवमें देवलोक से नवग्रैवेयक एवं अनुत्तर विमान के देव पंचेन्द्रिय जाति में ही उत्पन्न * होते हैं / पंचेन्द्रिय जाति में भी मनुष्य गति में ही जाते हैं / अर्थात् एकेन्द्रिय, द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय, चतुरिन्द्रिय, नरक, देवलोक एवं पंचेन्द्रिय तिर्यंच में उत्पन्न नहीं हो सकते हैं। 15 कर्मभूमियों में उत्पन्न होने से पर्याप्ता-अपर्याप्ता की अपेक्षा से 30 भेद हुए। 543) देवों की आगति बताओ? उ. 1) भवनपति, परमाधामी, वाणव्यंतर, व्यंतर, तिर्यग्भक देवों में आगति के 111 भेद -101 संज्ञी मनुष्य, 5 गर्भज पर्याप्ता तिर्यंच एवं 5 संमूर्छिम पर्याप्ता पंचेन्द्रिय तिर्यंच। 2) ज्योतिष्क देव एवं पहले देवलोक में आगति के 50 भेद-१५ कर्मभूमिज संज्ञी पर्याप्ता मनुष्य, 30 अकर्मभूमिज संज्ञी पर्याप्ता मनुष्य एवं 5 संज्ञी पर्याप्ता पंचेन्द्रिय तिर्यंच। 3) दूसरे देवलोक में आगति के 40 भेद-३० में से अकर्मभूमियों में से हिमवंतहिरण्यवंत क्षेत्र के संज्ञी मनुष्यों के पांच-२ भेद छोडकर 20 संज्ञी मनुष्य, 15 कर्मभूमिज संज्ञी मनुष्य एवं 5 संज्ञी तिर्यंच / 4) पहले किल्बिषिक में आगति 50 भेद-१५ कर्मभूमिज संज्ञी पर्याप्ता मनुष्य, 30 अकर्मभूमिज संज्ञी पर्याप्ता मनुष्य, 5 संज्ञी पर्याप्ता पंचेन्द्रिय तिर्यंच। 5) तीसरे से आठवां देवलोक, नवलोकान्तिक, 2-3 किल्बिषिक में आगति के 20 भेद __ = 15 कर्मभूमिज संज्ञी मनुष्य एवं 5 संज्ञी तिर्यंच पंचेन्द्रिय / 6) नौवें से बारहवां देवलोक, नव ग्रैवेयक, पांच अनुत्तर में आगति के 15 भेद-१५ कर्मभूमिज संज्ञी मनुष्य। 544) देवों की कितनी योनियाँ होती हैं ?